किसानों को राहत: जिले में समितियों के माध्यम से हो रही उर्वरकों की सतत् आपूर्ति

किसानों को राहत: जिले में समितियों के माध्यम से हो रही उर्वरकों की सतत् आपूर्ति

रायगढ़ :  मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की किसान हितैषी नीतियों के अनुरूप रायगढ़ जिले में किसानों को आवश्यक उर्वरकों की समुचित आपूर्ति सुनिश्चित की जा रही है। कलेक्टर श्री मयंक चतुर्वेदी के मार्गदर्शन में जिले की 69 सहकारी समितियों में यूरिया, डीएपी, एसएसपी और पोटाश का पर्याप्त भंडारण किया जा रहा है, जिससे किसानों को उर्वरक संबंधी किसी भी प्रकार की समस्या का सामना न करना पड़े। कृषि विभाग के उपसंचालक अनिल वर्मा ने बताया कि जिले में वर्तमान में 2409 मीट्रिक टन यूरिया, 639 मीट्रिक टन डीएपी, 1363 मीट्रिक टन एसएसपी और 478 मीट्रिक टन पोटाश उपलब्ध हैं। इसके अलावा, नेशनल फर्टिलाइजर कंपनी के माध्यम से 900 मीट्रिक टन यूरिया का रेक जिले में पहुँच चुका है, जिसे विभिन्न सहकारी समितियों में वितरित किया जा चुका है। डीएपी एवं काम्पलेक्स उर्वरकों की पूर्ति हेतु टीएसपी 46 प्रतिशत और एनपीके 16:16:16 एवं 15:15:15 का भी भंडारण किया गया है। उन्होंने बताया कि राज्य स्तर से जिले को लगातार रेक के माध्यम से उर्वरकों का आबंटन प्राप्त हो रहा है, जिसे सीधे सहकारी समिति में भंडारित किया जा रहा है।

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उपसंचालक कृषि ने बताया कि शासन के निर्देशानुसार किसानों को उर्वरक निर्धारित दरों पर सुलभ कराए जा रहे हैं। 45 किग्रा यूरिया 266.50 रुपए प्रति बोरी, 50 किग्रा एसएसपी दानेदार 510 रुपए प्रति बोरी, 50 किग्रा एसएसपी पाउडर 469 रुपए प्रति बोरी, 50 किग्रा एसएसपी जिन्केटेड 490 रुपए प्रति बोरी, 50 किग्रा पोटाश 1535 रुपए प्रति बोरी, 50 किग्रा एनपीके 20:20:0:13 का दर 1300 रुपए प्रति बोरी, 50 किग्रा एनपीके 12:32:16 का 1720 रुपए प्रति बोरी और 50 किग्रा डीएपी 1350 रुपए प्रति बोरी के हिसाब से उपलब्ध कराया जा रहा है। जिले में उर्वरकों की गुणवत्ता और वितरण में पारदर्शिता बनाए रखने हेतु उर्वरक निरीक्षकों द्वारा सतत निगरानी की जा रही है। अनियमितता पाए जाने पर उर्वरक नियंत्रण आदेश 1985 के तहत सख्त कार्रवाई की जा रही है। विक्रेताओं को निर्देशित किया गया है कि वे उर्वरकों की दरें एवं स्टॉक की जानकारी बोर्ड पर अनिवार्य रूप से प्रदर्शित करें।

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किसानों के बीच पहुंचकर बताया जा रहा नैनो डीएपी के लाभ और प्रयोग की विधि

शासन द्वारा डीएपी के विकल्प के रूप में नैनो डीएपी के उपयोग को बढ़ावा दिया जा रहा है। कृषि विभाग के मैदानी अमले, कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों और प्रगतिशील किसानों की सहायता से किसानों को ठोस डीएपी के साथ नैनो डीएपी का खेतों में इस्तेमाल करने के तरीके बताए जा रहे है। कृषि चौपालों और विकसित कृषि संकल्प अभियान के माध्यम से गांव-गांव जाकर किसानों को डेमोस्ट्रेशन देकर नैनो डीएपी का उपयोग करने के बारे में जानकारी दी जा रही है। इसके लाभों से किसानों को अवगत कराने के लिए गांवों में चौपालों का आयोजन किया जा रहा है।






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