भाद्रपद माह में आने वाली संकष्टी चतुर्थी को हेरम्ब संकष्टी चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन मुख्य रूप से भगवान गणेश की पूजा-अर्चना की जाती है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन भगवान गणेश की पूजा करने से जीवन में आने वाले सभी विघ्न दूर हो जाते हैं और साधक पर गणेश जी की कृपा बनी रहती है। संकष्टी चतुर्थी के दिन व्रत रखा जाता है और चंद्रोदय के बाद ही इस व्रत का पारण किया जाता है।
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संकष्टी चतुर्थी मुहूर्त
भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि की शुरुआत 12 अगस्त को सुबह 8 बजकर 40 मिनट पर हो रही है। वहीं इस तिथि का समापन 13 अगस्त को सुबह 6 बजकर 35 मिनट पर होगा। ऐसे में भाद्रपद माह की हेरम्ब संकष्टी चतुर्थी मंगलवार 12 अगस्त को मनाई जाएगी। इस दिन चन्द्रोदय का समय रात 8 बजकर 59 मिनट पर रहेगा।
संकष्टी चतुर्थी पूजा विधि
संकष्टी चतुर्थी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहनें। पूजा स्थल को साफ करने के बाद गंगाजल का छिड़काव करें। एक चौकी पर हरा या लाल कपड़ा बिछाकर भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित करें। पूजा के दौरान गणेश जी को चंदन, कुमकुम, हल्दी, अक्षत और फूल आदि अर्पित करें।
धूप-दीप जलाएं और गणेश जी को मोदक या फिर लड्डूओं का भोग लगाएं। संकष्टी चतुर्थी की कथा पढ़ें और गणेश जी की आरती करें। शाम को चंद्र दर्शन के बाद, चंद्रमा को अर्घ्य दें और अपना व्रत खोलें।
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गणेश जी के मंत्र
1. वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा ॥
2. एकदन्तं महाकायं लम्बोदरगजाननम्ं।
विघ्नशकरं देवं हेरम्बं प्रणमाम्यहम्॥
3. ॐ ग्लौम गौरी पुत्र,वक्रतुंड,गणपति गुरु गणेश
ग्लौम गणपति,ऋदि्ध पति। मेरे दूर करो क्लेश।।
4. एकदन्तं महाकायं लम्बोदरगजाननम्ं।
विघ्नशकरं देवं हेरम्बं प्रणमाम्यहम्॥
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