नई दिल्ली : दक्षिण भारत में हर माह में आने वाली स्कंद षष्ठी का पर्व बड़े ही उत्साह के साथ मनाया जाता है। भगवान स्कंद अर्थात कार्तिकेय जी को मुरुगन और सुब्रहमन्य आदि नाम से भी जाना जाता है।ऐसा माना जाता है कि जो साधक स्कंद षष्ठी पर भगवान कार्तिकेय की विधिवत रूप से पूजा-अर्चना करता है, उसके जीवन में आ रही बड़ी-से-बड़ी बाधा दूर हो सकती है। तमिल हिंदुओं में स्कंद षष्ठी का पर्व बड़े ही उत्साह के साथ मनाया जाता है। ऐसे में चलिए पढ़ते हैं स्कंद षष्ठी के मौके पर भगवान कार्तिकेय जी की पूजा विधि व आरती।
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स्कंद षष्ठी शुभ मुहूर्त
सावन माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि की शुरुआत 30 जुलाई को देर रात 12 बजकर 46 मिनट पर हो रही है। वहीं इस तिथि के समापन की बात की जाए, तो यह 31 जुलाई देर रात 2 बजकर 41 मिनट पर रहने वाली है। ऐसे में सावन माह में स्कंद षष्ठी का पर्व बुधवार 30 जुलाई को मनाया जाएगा।
स्कंद षष्ठी पूजा विधि
स्कंद षष्ठी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि कर लें। इसके बाद स्कंद भगवान का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प धारण करें। अब पूजा स्थल की साफ-सफाई के बाद भगवान कार्तिकेय की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। भगवान कार्तिकेय के साथ-साथ भगवान शिव और माता पार्वती का भी चित्र स्थापित करें।
पूजा मे कार्तिकेय जी को फूल, चंदन, धूप, दीप और नैवेद्य आदि अर्पित करें। भगवान कार्तिकेय को फल, मिठाई का भोग लगाएं और मोर पंख अर्पित करें। अंत में स्कंद भगवान की आरती क करें और सभी लोगों में प्रसाद बांटें।
कार्तिकेय भगवान की आरती
जय जय आरती वेणु गोपाला
वेणु गोपाला वेणु लोला
पाप विदुरा नवनीत चोरा
जय जय आरती वेंकटरमणा
वेंकटरमणा संकटहरणा
सीता राम राधे श्याम
जय जय आरती गौरी मनोहर
गौरी मनोहर भवानी शंकर
सदाशिव उमा महेश्वर
जय जय आरती राज राजेश्वरि
राज राजेश्वरि त्रिपुरसुन्दरि
महा सरस्वती महा लक्ष्मी
महा काली महा लक्ष्मी
जय जय आरती आन्जनेय
आन्जनेय हनुमन्ता
जय जय आरति दत्तात्रेय
दत्तात्रेय त्रिमुर्ति अवतार
जय जय आरती सिद्धि विनायक
सिद्धि विनायक श्री गणेश
जय जय आरती सुब्रह्मण्य
सुब्रह्मण्य कार्तिकेय
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