रायगढ़ : छग स्टेट पावर जेनरेशन कंपनी को आवंटित कोल ब्लॉक गारे पेलमा सेक्टर 3 के भू-अर्जन में सबसे बड़ा घोटाला किया गया। जांच रिपोर्ट आने के बाद तत्कालीन एसडीएम समेत सात अधिकारी-कर्मचारियों के विरुद्ध एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए गए हैं। अब इस मामले में एसीबी-ईओडब्ल्यू को दस्तावेजों का पुलिंदा भेजा जा चुका है। बताया जा रहा है कि शासन से निर्देश के बाद एसीबी ने ही दस्तावेज मंगवाए थे जिसमें विवेचना जारी है।
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बजरमुड़ा घोटाला रायगढ़ जिले में लारा कांड के बाद सबसे बड़ा सुनियोजित घपला है। इसमें प्रत्यक्ष रूप से सरकार को हानि पहुंचाई गई। संपत्तियों का गलत मूल्यांकन करने के कारण अरबों रुपए का मुआवजा देना पड़ा। जांच रिपोर्ट में मुआवजा पत्रक को दोषपूर्ण बताते हुए संबंधित अधिकारी व कर्मचारी के विरुद्ध विभागीय जांच व अनुशासनात्मक कार्रवाई की अनुशंसा की गई थी।
असिंचित भूमि को सिंचित बताकर, पेड़ों की संख्या ज्यादा दिखाकर, टिन शेड को पक्का निर्माण बताकर, बरामदे, कुएं, पोल्ट्री फार्म आदि का मनमानी मुआवजा आकलन किया गया। गणना के समय ही जिस भूमि पर 20 लाख का मुआवजा मिलता, उसमें बीस करोड़ का मुआवजा बना दिया गया। परिसंपत्तियों के आकलन में जमकर गड़बड़ी की गई, तत्कालीन एसडीएम अशोक मार्बल ने इसे रोका ही नहीं। रायगढ़ निवासी दुर्गेश शर्मा की शिकायत पर राज्य सरकार ने जांच टीम बनाई थी।
आईएएस रमेश शर्मा की अध्यक्षता में जांच की गई। मिलूपारा, करवाही, खम्हरिया, ढोलनारा और बजरमुड़ा में 449.166 हे. पर लीज स्वीकृत की गई। इसमें लीज क्षेत्र के अंतर्गत 362.719 हे. और बाहर 38.623 हे. भूमि पर सरफेस राइट के तहत भूअर्जन किया गया। जुलाई 2020 को प्रारंभिक सूचना प्रकाशित की गई। 22 जनवरी 2021 को अवार्ड पारित किया गया। इसमें केवल बजरमुड़ा के 170 हे. भूमि पर 478.68 करोड़ का मुआवजा पारित किया गया।
सीएसपीजीसीएल की आपत्ति पर मुआवजा 415.69 करोड़ ही हुआ। पूर्व कलेक्टर कार्तिकेया गोयल ने अपराध दर्ज करने का आदेश एसडीएम घरघोड़ा को दिया था जिसमें तत्कालीन एसडीएम अशोक मार्बल वर्तमान निलंबित समेत सात लोगों के नाम हैं। लेकिन अब केस एसीबी ने टेकओवर कर लिया है। एफआईआर भी एसीबी ही करेगा। इसलिए एसीबी की मांग पर रायगढ़ से दस्तावेजों का पुलिंदा रायपुर भेजा जा चुका है।
एकाउंट ट्रांजेक्शन, आहरण, मनी लॉन्ड्रिंग का मामला
बजरमुड़ा घोटाले की जांच के लिए बैंकिंग ट्रांजेक्शन, चैक काटने, प्राप्तकर्ता आदि की जांच करनी होगी। आर्थिक अपराध के मामले में जांच के लिए उस तरह की टीम की जरूरत होगी। इसलिए एसीबी-ईओडब्ल्यू को मामला सौंपा गया है, लेकिन बहुत धीमी रफ्तार से जांच हो रही है। कई और आरोपी सामने आएंगे। सीएसपीजीसीएल तक जांच की आंच पहुंच सकती है क्योंकि गलत होने के बावजूद आसानी से राशि जमा कर दी गई।
विधानसभा में उठा था मामला
तत्कालीन एसडीएम घरघोड़ा अशोक मार्बल के नेतृत्व में बजरमुड़ा में परिसंपत्तियों का आकलन हुआ। जमीन पर कोई संपत्ति नहीं होने के बावजूद उसका मुआवजा बनाया गया। घोटाले के लिए जिम्मेदार तत्कालीन एसडीएम अशोक कुमार मार्बल, तहसीलदार बंदेराम भगत, आरआई मूलचंद कुर्रे, पटवारी जितेंद्र पन्ना, पीडब्ल्यूडी सब इंजीनियर धर्मेंद्र त्रिपाठी, वरिष्ठ उद्यानिकी अधिकारी संजय भगत और बीटगार्ड रामसेवक महंत के विरुद्ध एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया है। विधानसभा में राजस्व मंत्री टंकराम वर्मा ने चितराम राठिया रेंजर वन विभाग, केपी राठौर एसडीओ पीडब्ल्यूडी, देवप्रकाश वर्मा सहायक अभियंता पीएचई, बलराम प्रसाद पडि़हारी परिक्षेत्र सहायक खम्हरिया वृत्त वन विभाग, आरके टंडन सहायक अभियंता पीएचई, तिरिथ राम कश्यप तहसीलदार तमनार, सीआर सिदार पटवारी, मालिक राम राठिया पटवारी के नाम भी गिनाए हैं।



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