नई दिल्ली : आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में ज्यादातर लोग तनाव का शिकार हो रहे हैं। वहीं कुछ लोग ऐसे हैं जो मूड स्विंग्स की समस्या से परेशान रहते हैं। आमतौर पर लोगों को लगता है कि बाइपोलर डिसऑर्डर ही मूड स्विंग है। लेकिन हम आपको बता दें कि ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। मूड स्विंग से पीड़ित लोगों का व्यवहार कब बदल जाए, कुछ कहा नहीं जा सकता है।
मूड स्विंग के पीछे सिर्फ तनाव ही जिम्मेदार नहीं है, बल्कि कई कारणों से इंसान मूड स्विंग का शिकार हो जाता है। इसे समझना बहुत जरूरी है। आज का हमारा लेख भी इसी विषय पर है। हम आपको बताएंगे कि मूड स्विंग क्या होता है, इसके पीछे क्या कारण है? साथ ही इनके लक्षणों के बारे में भी जानेंगे। आइए जानते हैं विस्तार से -
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क्या है मूड स्विंग?
क्लीवलैंड क्लीनिक के मुताबिक, मूड स्विंग्स का सीधा मतलब होता है कि अचानक से मूड का बदल जाना। जैसे कभी बहुत खुश महसूस करना और कुछ देर बाद ही दुखी या चिड़चिड़ापन महसूस करना। ये बदलाव दिमाग में मौजूद neurotransmitters के घटने-बढ़ने के कारण होता है। ये एक तरह का केमिकल है।
मूड स्विंग्स कभी-कभी किसी कारण से होते हैं जैसे भूख लगना, किसी पेट्स के साथ खेलना या पैदल चलना। लेकिन कई बार मूड क्यों बदल रहा है, इसका कोई खास कारण समझ नहीं आता है। वैसे तो मूड का ऊपर-नीचे होना हमारी लाइफ का हिस्सा है। लेकिन अगर ये बार-बार हो या आपके रिश्तों और काम पर असर डालने लगे, तो डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी हो जाता है।
मूड स्विंग्स क्यों होते हैं?
इन बीमारियों से भी हो सकता है मूड स्विंग्स
दिमाग की बीमारी होने पर भी होता है मूड स्विंग्स
क्या हैं मूड स्विंग के लक्षण?
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