किरन्दुल से 80 युवाओं को हरी झंडी: एनएमडीसी ने शुरू किया परिवर्तनकारी प्रशिक्षण कार्यक्रम

किरन्दुल से 80 युवाओं को हरी झंडी: एनएमडीसी ने शुरू किया परिवर्तनकारी प्रशिक्षण कार्यक्रम

दंतेवाड़ा किरन्दुल: भारत की सबसे बड़ी लौह अयस्क उत्पादक कंपनी, नेशनल मिनरल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (एनएमडीसी), ने अपनी कॉरपोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) पहल के तहत छत्तीसगढ़ के बस्तर और दंतेवाड़ा जिलों के 500 अनुसूचित जनजाति युवाओं के लिए एक परिवर्तनकारी कौशल विकास प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किया है। इस पहल का उद्देश्य आदिवासी समुदायों को तकनीकी कौशल प्रदान कर उनकी आर्थिक स्वतंत्रता और सामाजिक उत्थान को बढ़ावा देना है।रविवार शाम 4 बजे, किरन्दुल से 80 युवाओं को प्रशिक्षण केंद्र भेजने के लिए एनएमडीसी के अधिशासी निदेशक रवींद्र नारायण ने बस को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। इस अवसर पर उन्होंने सभी युवाओं को उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएं दीं। कार्यक्रम में एनएमडीसी के उपमहाप्रबंधक (एचआर) के.एल. नागवेणी, सीएसआर प्रबंधक विवेक रक्षा सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

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यह प्रशिक्षण कार्यक्रम सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ पेट्रोकेमिकल्स इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी (सीआईपीईटी), हैदराबाद के सहयोग से संचालित किया जा रहा है। इसके तहत युवाओं को प्लास्टिक और पॉलिमर प्रौद्योगिकी में पूरी तरह निःशुल्क तकनीकी शिक्षा प्रदान की जाएगी। एनएमडीसी इस कार्यक्रम के तहत ट्यूशन, प्रशिक्षण, आवास, भोजन और अन्य सभी खर्चों को पूर्ण रूप से प्रायोजित कर रही है।

कार्यक्रम में मशीन ऑपरेटर (एनएसक्यूएफ लेवल IV सर्टिफिकेशन) जैसे छह माह के अल्पकालिक पाठ्यक्रम शामिल हैं, जो 8वीं कक्षा उत्तीर्ण उम्मीदवारों के लिए उपलब्ध हैं। यह कोर्स प्लास्टिक प्रसंस्करण, इंजेक्शन मोल्डिंग और ब्लो मोल्डिंग जैसे क्षेत्रों में व्यावहारिक प्रशिक्षण प्रदान करता है। यह पहल न केवल युवाओं को रोजगार के अवसर प्रदान करेगी, बल्कि स्थानीय समुदायों की क्षमता को उ उजागर कर भारत की प्रगति में योगदान देगी।

एनएमडीसी की यह पहल आदिवासी युवाओं को सशक्त बनाने और उनके जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह प्रयास न केवल वित्तीय स्वतंत्रता को बढ़ावा देता है, बल्कि बस्तर जैसे क्षेत्रों में सामाजिक-आर्थिक विकास को भी गति प्रदान करता है।

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विशेषताएं:
निःशुल्क प्रशिक्षण: ट्यूशन, आवास, भोजन सहित सभी खर्च एनएमडीसी द्वारा वहन।
लक्ष्य: बस्तर और दंतेवाड़ा के 500 आदिवासी युवाओं को तकनीकी कौशल से सशक्त करना।

पाठ्यक्रम: प्लास्टिक प्रसंस्करण, इंजेक्शन मोल्डिंग और ब्लो मोल्डिंग में विशेषज्ञता।
यह कार्यक्रम स्थानीय युवाओं के लिए एक नई राह खोलेगा और उन्हें आत्मनिर्भर बनने की दिशा में प्रेरित करेगा।









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