मुंबई : ‘प्यार में जुनून है, लेकिन दोस्ती में सुकून है’ फिल्म ‘ऐ दिल है मुश्किल’ का यह संवाद दोस्ती पर फिट बैठता है। फिल्में अक्सर दोस्ती की बातें बड़ी खूबसूरती से बयां करती हैं, लेकिन उनमें काम करने वाले कलाकारों की कैसी होती है दोस्ती, फ्रेंडशिप डे के मौके पर कलाकारों से सुनें उनके दोस्त और दोस्ती की बातें...
इंडस्ट्री के दोस्त हमेशा साथ देते हैं
फिल्मी पार्टियों से दूर रहने वाली सैयामी खेर ने पिछले दिनों स्वीडन में दूसरी बार आयरनमैन 70.3 ट्रायथलान रेस सफलतापूर्वक पूरी की। वह पहली भारतीय अभिनेत्री हैं, जिन्होंने एक वर्ष के भीतर दो बार इस रेस को पूरा किया है। फिटनेस के इस सफर में उन्हें हमेशा फिल्म इंडस्ट्री के अपने दोस्तों का साथ मिला है। सैयामी कहती हैं, ‘मेरे दोस्त पावेल (अभिनेता पावेल गुलाटी) और अभिलाष (अभिनेता अभिलाष थपलियाल) के साथ यह सफर खास हो गया था।
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मैं 11 बजे सो जाती हूं तो वह मुझसे मिलने के लिए शाम की योजना बनाते हैं। मैं बोरिंग खाना खाती हूं, वह भी मेरे साथ वही खा लेते हैं। दोस्ती ऐसी ही होती है। बाकी मैं ज्यादा फिल्मी नहीं हूं। मैं किसी पार्टी में फिट नहीं होती। न ही वहां जाकर किसी से काम के लिए दोस्ती कर सकती हूं। अभिलाष, पावेल, मलयालम सिनेमा के अभिनेता रोशन मैथ्यू, हम सब घर पर ही मिलते हैं, साथ खाना खाते और समय बिताते हैं।’
दोस्ती निभाने में हूं अव्वल
फिल्म इंडस्ट्री में दोस्तों के मामले में अभिनेता नील नितिन मुकेश के अनुभव कड़वे रहे हैं। उनके दोस्त इंडस्ट्री से बाहर के हैं। वह कहते हैं, ‘मेरे स्कूल के दोस्त आज भी मेरे साथ हैं। फिल्म इंडस्ट्री की दोस्ती को मैं करियर की शुरुआत में ही समझ गया था। तब लगता था कि साल-डेढ़ साल अगर किसी के साथ कोई फिल्म कर लो, तो वो मेरे दोस्त हैं। फिर एहसास हो गया कि जिनको मैंने अपना जिगरी दोस्त या आदर्श माना, वो मेरा फोन तक नहीं उठा रहे, जबकि फिल्म को प्रदर्शित हुए 10 दिन भी नहीं हुए थे। कोई दोस्ती इसलिए बनाकर चल रहा था कि उस समय मेरी फिल्म हिट हुई है। फिर ऐसे लोग आपके संघर्ष में गायब हो जाते हैं। हालांकि, इन अनुभवों ने मुझे नहीं बदला। मैं यह गारंटी के साथ कह सकता हूं कि अगर सामने वाला साथ दे, तो मुझ जैसा दोस्त और कोई हो ही नहीं सकता है।’
परिवार ही दोस्त है
अभिनेत्री यामी गौतम और उनके पति व निर्माता आदित्य धर फिल्मों से जुड़े हैं, इसके बावजूद उनके इंडस्ट्री में कम दोस्त हैं। यामी कहती हैं, ‘मेरे इंडस्ट्री में अच्छे सहकलाकार और शुभचिंतक जरूर हैं। मेरे लिए दोस्ती की परिभाषा बस इतनी सी है कि एक-दूसरे के लिए आपके इरादे अच्छे हों। बाकी मुझे लगता है कि एक समय के बाद परिवार ही आपका दोस्त बन जाता है। हम कलाकारों का शेड्यूल ही ऐसा होता है कि हम अजीब समय पर काम कर रहे होते हैं। जब काम खत्म होता है, तो कई बार केवल शांत बैठने का मन करता है।
यह बात इंडस्ट्री के बाहर वालों को शायद समझ न आए कि आप क्यों उनके लिए उपलब्ध नहीं हैं। ऐसा नहीं है कि दोस्त नहीं बनाना है, फिर मुझे समझ नहीं आता है कि ऐसे सवालों का उन्हें क्या जवाब दिया जाए। बाकी मेरे लिए मेरी फैमिली ठीक है।’
कोई कांट्रैक्ट साइन नहीं होता
दोस्ती को लेकर अभिनेता बमन ईरानी का मानना है कि काम की जगह हो या कोई और, जबरन दोस्ती नहीं हो सकती है। वह कहते हैं, ‘मतलब की दोस्ती तो हर पेशे में होती है। जहां तक फिल्म इंडस्ट्री में दोस्ती की बात है, तो यहां भी अच्छे दोस्त हैं। हालांकि सेट पर काम के साथ गहरी दोस्ती बनाने का कोई कांट्रैक्ट साइन नहीं होता है, लेकिन मेरी कुछ फिल्मों के लिए बने वाट्सएप ग्रुप में आज भी हमारी बातचीत होती है।
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फिल्म इंडस्ट्री में मेरे बहुत सारे दोस्त और सहकर्मी हैं। बहुत से लोगों से मैं प्यार करता हूं, लेकिन उनसे अच्छी दोस्ती बनी नहीं, जो ठीक ही है। अंततः हमारे करीबी दोस्तों में तो पांच-छह लोग ही होते हैं। रितेश भाई (रितेश देशमुख), अभिषेक भाई (अभिषेक बच्चन), अनुपम खेर, फराह खान, जानी लीवर मेरे गहरे दोस्त हैं।



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