पुतिन को बुलाकर बुरे फंसे ट्रंप, रूस ने भारत के बाद ब्राजील के राष्ट्रपति को मिलाया फोन

पुतिन को बुलाकर बुरे फंसे ट्रंप, रूस ने भारत के बाद ब्राजील के राष्ट्रपति को मिलाया फोन

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन इस सप्ताह यूक्रेन युद्ध को लेकर एक महत्वपूर्ण बैठक करने वाले हैं। हालांकि, बैठक से पहले ही रूस ने अमेरिका को सोचने पर मजबूर कर दिया है।

राष्ट्रपति पुतिन ने इस बैठक से पहले चीन और भारत से चर्चा की, और इसके बाद ब्राजील के राष्ट्रपति लूला डी सिल्वा से भी फोन पर बातचीत की। यह कूटनीतिक गतिविधि अमेरिका की चिंताओं को और गहरा कर रही है।

क्रेमलिन की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि दोनों नेताओं ने ब्रिक्स के भीतर रणनीतिक साझेदारी और तालमेल को और मजबूत करने के संकल्प को दोहराया। ब्राजील के राष्ट्रपति कार्यालय के मुताबिक, यह बातचीत पुतिन की पहल पर हुई थी। इसमें ब्रिक्स के अलावा यूक्रेन संकट, अमेरिका के साथ ब्राजील-रूस संबंधों और हाल की टैरिफ नीतियों पर भी चर्चा हुई।

ब्राजील से भारत के रिश्ते मजबूत

राष्ट्रपति लूला ने पिछले दिनों पीएम मोदी से फोन पर बातचीत की। बातचीत के दौरान दोनों नेताओं ने 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को 20 अरब डॉलर से अधिक तक पहुंचाने के लक्ष्य को दोहराया। इस दौरान ऊर्जा, कृषि और प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ाने पर जोर दिया गया। पिछले कुछ सालो में ब्रिक्स और G20 जैसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत और ब्राजील के संबंधों में उल्लेखनीय मजबूती देखने को मिली है।

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में भारत और ब्राजील दोनों पर ऊंचे टैरिफ लगाए हैं। भारत पर 50% टैरिफ लगाया गया है। वहीं, ब्राजील पर यह टैरिफ रूस से तेल खरीदने की वजह से लगाया गया, जिसे ब्राजील में पूर्व राष्ट्रपति बोल्सोनारो के खिलाफ चल रहे मुकदमे और रिपब्लिकन दबाव के संदर्भ में देखा जा रहा है। अमेरिकी टैरिफ के जवाब में ब्राजील ने चीन, भारत और दक्षिण-पूर्व एशिया के साथ व्यापार संबंध मजबूत करने की कोशिशें तेज कर दी हैं। हालांकि ब्राजील के तेल उत्पादकों को अमेरिका के टैरिफ से कुछ राहत मिली है।

ब्रिक्स की संभावित संयुक्त रणनीति

लूला, पुतिन और मोदी के बीच हाल की बातचीत से संकेत मिलते हैं कि ब्रिक्स देश अमेरिकी टैरिफ के खिलाफ एक संयुक्त रणनीति बना सकते हैं। हालांकि अभी तक कोई औपचारिक संयुक्त बयान जारी नहीं हुआ है, लेकिन नेताओं के बीच जारी संवाद से यह साफ है कि यह मुद्दा आने वाले ब्रिक्स शिखर सम्मेलनों में प्रमुख एजेंडा हो सकता है।








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