परमेश्वर राजपूत, गरियाबंद / छुरा : छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित पत्रकार हत्याकांड में कल 12 अगस्त को विशेष सीबीआई न्यायालय रायपुर में सुनवाई हुई। जिसमें कुछ लोगों के साथ पुलिस अधिकारियों का बयान भी दर्ज किया गया। वहीं अब इस केस की सुनवाई सितंबर माह में होगी। इस हत्याकांड में अब तक सबसे बड़ा पेंच स्थानीय पुलिस थाने के मालखाने से हत्याकांड से साक्ष्य गायब होना में फंसा हुआ है। जहां सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या इसे पुलिस ने गायब किया? या किसी प्रभावशाली लोगों के द्वारा गायब कराया गया? क्योंकि इस साक्ष्य के आधार पर जांच पुरी होगी और सीबीआई अपराधियों तक पहुंच पाएगी।
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परिजनों की मानें तो घटना स्थल पर मिला धमकी भरा पत्र वहां उपस्थित लोगों के द्वारा ही डाला जा सकता है और उन लोगों का अक्षर एक्सपर्ट मिलान से इस हत्याकांड का खुलासा हो जाता लेकिन ये पत्र भी मालखाने से सीबीआई जांच के दौरान गायब मिला वहीं पुलिस के केस डायरी में ऐसे ही डुप्लीकेट धमकी भरा पत्र लगाया गया था। साथ ही मोबाइल कम्प्यूटर, फायरिंग हुए पर्दे के कपड़े,गन के छर्रे, जैसे कई महत्वपूर्ण साक्ष्य थाने से गायब मिले हैं। अब आने वाले दिनों में जांच एजेंसी सीबीआई के द्वारा क्या साक्ष्य गायब करने वाले पुलिस अधिकारियों पर कार्यवाही की जाएगी या इनके माध्यम से अपराधियों तक सीबीआई पहुंच पाएगी ये तो आने वाले दिनों में ही पता चल जाएगा।
लेकिन सबसे बड़ा सवाल ये भी है कि 23 जनवरी 2011 को पत्रकार उमेश राजपूत की उनके निवास पर दिन दहाड़े घर पर पांच लोगों की उपस्थिति के बीच गोली मारकर हत्या कर दी गई थी और आज 2025 चल रहा है। आज पंद्रह साल इस घटना को बीत चुके हैं लेकिन अपराधी अभी भी खुली हवा में घुम रहे हैं और परिजन आज भी न्याय की आस लगाए इंतजार कर रहे हैं आखिर न्याय कब तक मिल पाएगा?
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