परमेश्वर राजपूत गरियाबंद/ छुरा : मामला आदिवासी विकास खंड छुरा तहसील क्षेत्र के ग्राम हीराबतर का है जहां के आदिवासी के नाम की जमीन को बिक्री नामा कर ओबीसी वर्ग में रजिस्ट्री कर दिया गया है वह भी एक बार नहीं दो बार ओबीसी वर्ग में रजिस्ट्री किया जा चुका है।बता दें कि ग्राम हीराबतर निवासी स्व.गणेशी बाई गोंड़ पति स्व. फिरतु राम गोंड़ खसरा नंबर 223/3 खसरा नंबर 223/4 कुल रकबा 1.20 पटवारी हल्का नंबर 31 ग्राम हीराबतर में स्थित जमीन को अवैधानिक रूप में ओबीसी वर्ग में रजिस्ट्री किया गया।
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हालांकि यह किसान बिना पढ़े लिखे था और इन बातों का ज्ञान इसे नहीं था लेकिन पटवारी, तहसीलदार, रजिस्टार ये इन सब बातों को जानते हुए किस प्रकार रजिस्ट्री किये यह बड़ा सवाल है। वहीं उनके पुत्र बिसाहू राम गोंड़ को जानकारी होने पर उन्होंने जब राकेश मेहता तहसीलदार छुरा से मुलाकात कर इस संबंध में जानकारी ली तो उन्होंने कहा कि एक आवेदन लगा दीजिए यह जमीन आप लोगों को वापस किया जाएगा। जिसे लेकर उन्होंने अनुविभागीय अधिकारी छुरा, तहसीलदार छुरा, कलेक्टर गरियाबंद, क्षेत्रीय विधायक जनक ध्रुव को आवेदन लगाया। जिसे लेकर क्षेत्रीय विधायक जनक ध्रुव ने राकेश कुमार मेहता उस समय के पदस्थ तहसीलदार से फोन के माध्यम से इस मामले पर बात की थी तो उन्होंने कहा कि आवेदक के द्वारा एक आवेदन लगा देंगे और यह जमीन उस आदिवासी किसान को पुनः वापस की जाएगी। लेकिन आज लगभग दो महीने बाद न ही इसमें गलत तरीके से रजिस्ट्री करने वाले अधिकारियों पर कोई कार्यवाही हुई और नहीं आवेदक को इस संबंध में कोई जानकारी मिली है।
क्या भू-माफियाओं के आगे प्रशासन नतमस्तक है या गलत करने वाले अधिकारियों को बचाया जा रहा है। वहीं उस जमीन का आधा भाग आज भी उस आदिवासी किसान के नाम पर है और आधा जमीन ओबीसी वर्ग के नाम पर है आदिवासी ब्लाक में यह कैसे संभव हो सकता है यह बड़ी सोचनीय और गंभीर विषय है। अब इस मुद्दे को लेकर सर्व आदिवासी समाज के जिला अध्यक्ष नीलकंठ ठाकुर ने कहा है कि अगर यह अवैधानिक तरीके से रजिस्ट्री की गई आदिवासी की जमीन उस आदिवासी परिवार को पुनः नहीं दिया जाता है और गलत तरीके से रजिस्ट्री करने वाले अधिकारियों के ऊपर प्रशासनिक कार्यवाही नहीं की जाती है तो इसे लेकर सर्व आदिवासी समाज के द्वारा जल्द ही धरना प्रदर्शन किया जाएगा इस प्रकार आदिवासियों का शोषण कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
वहीं छत्तीसगढ़ के वरिष्ट समाजसेवी सेवी सीताराम सोनवानी ने इस मुद्दे पर कहा कि भूमाफिया और भ्रष्ट अधिकारियों की मिलि भगत से इस प्रकार आदिवासियों की जमीन को हड़प कर ऊंचे दामों पर अन्य वर्गों में बेचने जैसे हरकतों पर अगर प्रशासन कार्यवाही नहीं करती है तो जिला मुख्यालय में पिड़ित आदिवासी को लेकर हम धरना प्रदर्शन करने मजबूर होंगे।हालांकि यह आदिवासी जमीन पहले साहू वर्ग के नाम पर किया गया जिसके बाद वर्तमान में किसी अग्रवाल के नाम पर है और वर्तमान में तहसील कार्यालय छुरा में इसका नामांतरण रूका हुआ था अब आने वाले दिनों में देखना होगा कि इस मामले पर प्रशासन क्या कार्यवाही करता है।
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