भगवान विष्णु की कृपा पाने के लिए एकादशी तिथि को शुभ माना जाता है. पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को अजा एकादशी कहा जाता है. यह भगवान विष्णु को समर्पित एक महत्वपूर्ण व्रत है. अजा एकादशी का व्रत भगवान विष्णु को प्रसन्न करने और पिछले जन्मों के पापों से मुक्ति पाने के लिए किया जाता है. धार्मिक मान्यता है कि इस दिन व्रत करने से व्यक्ति समस्त पापों से मुक्त हो जाता है और उसके जीवन में सुख-समृद्धि का आगमन होता है.
अजा एकादशी का व्रत कब है:- भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 18 अगस्त को शाम 5:22 मिनट से शुरू होगी. वहीं, इस तिथि का समापन अगले दिन 19 अगस्त को दोपहर 3:32 मिनट पर होगा. ऐसे में अजा एकादशी व्रत 19 अगस्त को किया जाएगा.
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अजा एकादशी व्रत का पारण कब है:- एकादशी व्रत का पारण हमेशा द्वादशी तिथि में किया जाता है. ऐसे में अजा एकादशी व्रत पारण 20 अगस्त को सुबह 5:53 मिनट से लेकर सुबह 08:29 मिनट तक किया जाएगा. इस शुभ मुहूर्त के दौरान किसी भी समय व्रत का पारण कर सकते हैं.
अजा एकादशी करने से क्या होता है:- धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, अजा एकादशी के शुभ अवसर पर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करने का विधान है. ऐसी मान्यता है कि इस दिन लक्ष्मी नारायण जी की आराधना करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है और मृत्यु के पश्चात बैकुंठ की प्राप्ति होती है. अजा एकादशी पूजा के दौरान व्रत कथा का पाठ न करने व्यक्ति को शुभ फलों की प्राप्ति नहीं होती है.
अजा एकादशी पर क्या दान करें:- एकादशी के दिन दान करना विशेष लाभकारी होता है, इसलिए अजा एकादशी के दिन पूजा करने के बाद लक्ष्मी नारायण मंदिर या गरीब लोगों में अन्न, धन और कपड़े चीजों का दान करना चाहिए. धार्मिक मान्यता है कि चीजों का दान करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है और धन लाभ के योग बनते हैं.
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