बालोद : आज भारतीय जनता पार्टी जिला का विभाजन विभीषिका दिवस संगोष्ठी का कार्यक्रम कुर्मी भवन बालोद में संपन्न हुआ, इस कार्यक्रम में वरिष्ठ भाजपा नेता पूर्व विधानसभा अध्यक्ष प्रेम प्रकाश पांडे मुख्य वक्ता के रूप में शामिल हुए, इस कार्यक्रम का स्वागत उद्बोधन जिला अध्यक्ष चमन देशमुख ने किया, एवं इस कार्यक्रम का संचालन जिला महामंत्री राकेश छोटू यादव ने किया।
पूर्व विधानसभा अध्यक्ष, मुख्य वक्ता प्रेम प्रकाश पाण्डेय ने इस संगोष्ठी में सभा को सम्बोधित करते हुए कहा भारत के विभाजन विभाजन के लिए 4 पात्र जिम्मेदार थे। पहला अंग्रेज थे। हमारे देश के ऊपर शासन करने वाले अंग्रेज इसके लिए दोषी थे। अंग्रेजों ने विभाजन का बीज बोया। हिन्दू-मुस्लिम के बीच दरार पैदा करके उन्होंने यह काम किया। विभाजन के लिए दूसरा पात्र मुस्लिम लीग जिम्मेदार था। मुस्लिम लीग ने प्रस्ताव पास किया था कि हमें भारत में नहीं रहना है, अलग देश चाहिए। गांधीजी के राष्ट्रभक्ति पर प्रश्नचिह्न नहीं है, लेकिन उन्होंने कहा था कि देश का विभाजन मेरी लाश पर होगा, लेकिन विभाजन हो गया और वह जीवित रहे। इस विभाजन का तीसरा पात्र है कांग्रेस। उस वक्त कांग्रेस का लचर और सत्ता प्रेमी नेतृत्व इसका कारण रहा और चौथा पात्र रहा वामपंथ। कांग्रेस और अंग्रेजों की इस लड़ाई को बुर्जुआ लड़ाई कहकर वामपंथी अंग्रेजों के साथ खड़े हो गए थे।
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विभाजन की विभीषिका के रूप में विभाजन की त्रासदी को याद करने और नई पीढ़ी को उससे अवगत कराने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 14 अगस्त 2021 से इस दिवस के आयोजन की परंपरा को शुरू किया। हमारे देश का एक महाविनाशकारी विभाजन हुआ। आज का यह दिन हमको इस विषय पर विचार करने के लिए प्रेरित करता है और इसलिए संपूर्ण देश के अंदर भारत विभाजन दुःखांतिका का स्मरण कराने का काम हम कर रहे हैं।
जब देश 15 अगस्त 1947 को स्वतंत्रता के जश्न में डूबा था, उसी समय देश के अंदर लाखों लोगों के घर लूटे गए, उनकी अपनी खुद की भूमि से उनको अलग होना पड़ा, हमारे ही समान उन्होंने भी स्वतंत्रता के लिए आंदोलन किया था, वह भी जेल गए। कांग्रेस के अधिवेशन लाहौर कराची के अधिवेशन में भी गए थे। 2 लाख से लेकर 20 लाख तक की संख्या की आबादी विभाजन के कारण हत्या की शिकार हुई। डेढ़ करोड़ लोगों की आबादी के अपनी भूमि से निर्वासित होना पड़ा और 78 हजार वर्ग मील भूमि हमारे हाथ से चली गई। भारत माता खंडित हो गई।
विभाजन के बाद जब हम अमृतसर के लिए लाहौर और कराची से चलते थे, वहां से हजारों लोग चले थे पर भारत आते-आते यह संख्या महज 10, 20, 25 बचती थी। अभी उसकी कल्पना करके देखें तो उस समय की विभीषिका कितनी भयानक रही होगी? आज का जो कोलकाता है, वहाँ जब मुस्लिम लीग ने 16 अगस्त 1946 को डायरेक्ट एक्शन किया तब 10 हजार लोगों का कत्ल हुआ था। एयरपोर्ट पर पैर रखने के लिए जगह नहीं थी और लोग लाशों के ऊपर चल रहे थे। हमारे देश के ऊपर शासन करने वाले साम्राज्यवादी शक्तियों के प्रतीक अंग्रेजों को जब ऐसा लगा कि देश का देश को छोड़कर जाना ही पड़ेगा तो जाते-जाते वह इसका विभाजन कर गए। अंग्रेज सोचते थे कि यहां भारत पाक संघर्ष होता रहेगा हम पंच के रूप में यहां पर नेता बने रहेंगे, भारत कमजोर रहेगा। इसलिए उन्होंने विभाजन के बीज बोने का काम किया।
1857 स्वाधीनता का जो प्रथम समर है, उसमें कहीं हिंदू और मुस्लिम का भेद नहीं दिखता है। बहादुरशाह जफर के नेतृत्व में भारत अपनी स्वतंत्रता के लिए निकला। अंग्रेज जानते थे कि अगर यह स्वतंत्रता की लड़ाई मिलकर लड़ते रहेंगे तो हम लंबे समय तक शासन नहीं कर पाएंगे, इसलिए मुस्लिम लीग की स्थापना 1906 में ढाका में हुई और फूट डालो-राज करो की नीति पर काम किया। टू-नेशन थ्योरी के तहत दो ही राष्ट्र मुस्लिम देश अलग, हिंदू राष्ट्र अलग। इसके लिए मुस्लिम लीग ने 1940 में कहा हम भारत में नहीं रह सकते हैं। यदि राष्ट्र का आधार धर्म है तो पाकिस्तान ,पूर्वी पाकिस्तान, आज का पाकिस्तान और बांग्लादेश का विभाजन क्यों हुआ? अफगानिस्तान और पाकिस्तान क्यों संघर्ष हुआ? दोनों ही मुस्लिम देश हैं। इस तरह एक गलत सिद्धांत को रचने का काम किया गया।
तत्कालीन नेतृत्व ने काश धैर्य का परिचय दिया होता तो यह विभाजन नहीं होता। विभाजन तय होने के बाद जिन्ना जब कराची पहुँचे तो अपने एड़ीसी से उन्होंने कहा कि मुझे कल्पना नहीं थी इतनी जल्दी पाकिस्तान मिल जाएगा और कांग्रेस में मान जाएगी। पाकिस्तान बनने के 11 महीने के बाद जिन्ना का इंतकाल हो गया। इसी प्रकार आजाद हिंद फौज के बढ़ते प्रभाव के बावजूद भारतीय नेताओं ने धैर्य का परिचय नहीं दिया। अंग्रेजों को लगता था कि आजाद हिंद फौज के सैनिकों की फौज उनके साथ खड़ी रही तो हम विभाजन नहीं कर सकते, इसलिए विभाजन की जो तारीख तय हुई थी, अंग्रेज उससे जल्दी भारत छोड़कर चले गए।
1905 में अंग्रेज बंग भंग लेकर आई थी। 1916 के लखनऊ अधिवेशन के बाद इस देश में एक परंपरा, जिसके दंश भारत आज भी भुगत रहा है, तुष्टीकरण शुरू हुई। हिंदी के नाम पर हिंदुस्तानी भाषा का नामकरण किया गया। तुष्टिकरण कल्चर से भारत झुकता चला गया।
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इस देश के अंदर संविधान का गौरव बढ़ाने का काम पिछले 10 वर्षों में श्री मोदी ने किया। यह कांग्रेस ने नहीं किया था लेकिन कहा गया कि वह संविधान बदल देगा। जिन्होंने बाबा साहब को चुनाव नहीं जीतने दिया, वे लोग कह रहे हैं कि संविधान बदल देंगे। पहले समाज के लोगों को यह मालूम होना चाहिए कि सत्य क्या है? और हम स्वयं ही सत्य बोलें। इसकी जानकारी भी इकट्ठा करें, इसका अध्ययन भी करें और अपने आने वाली पीढ़ी को इस बारे में बताइए। इन राष्ट्र विरोधी ताकतों की असलियत को समझते हुए उनके फेक नैरेटिव से बचाना है।
भारत का विभाजन देश का विभाजन नहीं था यह मानव इतिहास की सबसे बड़ी त्रासदियों में से एक थी। विभाजन का दंश जो पीढ़ी ने झेला है, उसे आने वाली पीढ़ी कभी नहीं भूलेगी। यह कभी भूलना भी नहीं चाहिए। भारत विभाजन के दौरान लोगों का विस्थापन हुआ लोग अपनों से बिछड़ गए लोगों ने मजबूरी में किस तरह पलायन किया उसकी तस्वीरें को कोई नहीं भूल सकता है। यह दिवस पर संप्रभुता और अखंडता के लिए एकजुट होने का सबक है। विभाजन विभीषका की यातनाएं लाखों लोगों ने सहन की है साथ ही निर्ममता से मासूमों की हत्या की गई, बहु बेटियों का माता बहनों का निर्मम बलात्कार हुआ, लाखों लोग अपने जड़ों से दूर होकर शरणार्थी बनने को विवश हुए और ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि दो नेताओं ने अपनी स्वार्थ को,कुर्सी के मोह को और देश को अलग रखा। भारत ने कभी धर्म-मजहब के नाम पर किसी से भेदभाव नहीं किया क्योंकि हम सर्वे भवन्तु सुखीन और वसुधैव कुटुंबकम की भावना को मानने वाले है। यह हमारा सौभाग्य है।
इतिहास में इतनी बड़ी विभिषिका कोई दूसरी नहीं हुई होगी। हम आजादी का जश्न तो मानते हैं परंतु उस जश्न के साथ में करोड़ों लोगों के दुख पीड़ा जिन्होंने अपने जन्मस्थान को छोड़, अपनी जड़ों को छोड़, अपने परिवार को खोया, अपने परिवार के लोगों के साथ अत्याचार देखा है। शायद विश्व के इतिहास में इतनी बड़ी विभीषिका कोई दूसरी नहीं हुई होगी। विभाजन के दौरान 20-20 लाख लोगों की हत्या हुई करोड़ों लोगों को अपना देश, अपनी जन्म भूमि अपनी जमीन छोड़कर आना पड़ा और कभी उनको याद नहीं किया जाता रहा।
इस विषय पर जिला अध्यक्ष चेमन देशमुख ने कहा -75 साल तक हमारा दर्द दबा दिया गया हमारी कहानियों को नजरअंदाज किया गया हमारे कष्टों नकार दिया गया, आज के भारत के युवा चुप रहने से इनकार करते हैं, विभाजन सिर्फ जमीन का बंटवारा नहीं था यह जीवन मंदिर परिवार संस्कृति और सभ्यता की निरंतरता का बंटवारा था, विभाजन कोई दुर्घटना नहीं था यह धार्मिक अलगाववाद और राजनीतिक अवसरवाद से किया गया सुनियोजित षडयंत्र था, मुस्लिम लीग ने अलग इस्लामी देश की मांग की कांग्रेस ने मान ली, लाखों लोग मरे, वजह जनता नहीं बल्कि वो नेता थे जो राष्ट्रीय एकता के लिए लड़ नहीं सके, हमें भुलाने को कहा गया लेकिन हम कहते हैं बस अब और नहीं। यह माइग्रेशन नहीं था बल्कि पाकिस्तान में हुआ धार्मिक आधार पर हुआ नरसंहार था।
लाहौर से ढाका तक हिंदू सिख बस्तियां मिटा दी गई घर जलाए गए महिलाओं के साथ बलात्कार व ट्रेनें लाशों से भारी भारत आई ,आज तक ना कोई न्याय न स्मारक ना ही जिम्मेदारों ने मांगी माफी, सवाल यह है कि भी विभाजन पर सहमति किसने दी।जवाब - कांग्रेस नेतृत्व ने।
निर्वितमान जिला अध्यक्ष पवन साहू ने कहा -14 अगस्त 1947 के विभाजन के दर्द को कभी नहीं बुलाया जा सकता हमारे लाखों भाई-बहन विस्थापित हुए और कई लोगों ने न समझ और हिंसा के कारण अपनी जान गवाई ,हमारे लोगों के संघर्ष और बलिदानों की याद में 14 अगस्त में विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस के रूप में मनाया जाता है, विभाजन बीसी का स्मृति दिवस हमें सामाजिक सद्भाव और मानव सशक्तिकरण की भावना को और मजबूत करने की आवश्यकता की याद दिलाता है।विभाजन की सोच आज भी जिंदा है "सर तन से जुदा "शाहीन बाग जैसे आंदोलन अलग कानून और विशेषाधिकार की मांग उसी कड़ी का हिस्सा है ,जिन्ना से लेकर PFI तक मुस्लिम लीग से कट्टर इस्लामी संगठनों तक धार्मिक अलगाववाद की राजनीति आज भी जारी है।
आज भी लोग पाकिस्तान और बांग्लादेश से भारत भाग कर आते हैं और मोदी सरकार ने ही CCA से उन्हें न्याय दिया। विभाजन का कारण आम लोग नहीं बल्कि धार्मिक कट्टरता और तुष्टीकरण था।
जिला महामंत्री राकेश छोटू यादव ने कहा-विभाजन हमें याद दिलाता है कि अलगाववाद सांप्रदायिकता और तुष्टीकरण की राजनीति को पनपने देना कितना घातक है, यह उन राजनीतिक विचारधाराओं के खिलाफ चेतावनी है जो धार्मिक पहचान को राष्ट्रीय एकता से ऊपर रखते हैं, विभाजन को याद करना धार्मिक अलगाववाद के खतरों को पहचानना और एकता के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को पुन स्थापित करना है, यह उन लाखों लोगों के साझा दर्द का स्मरण है जिन्होंने अपना घर परिवार और विरासत खो दी।ना कोई स्मारक ना कोई संग्रहालय ना सार्वजनिक स्मरण क्योंकि कांग्रेस को डर था कि सच उसकी नैतिक सफलता को उजागर कर देगा, भाजपा ने यह छुपी तोड़ी राजनीतिक लाभ के लिए नहीं बल्कि मृतकों को सम्मान और भूले बिसरे लोगों को आवाज देने के लिए।
विभाजन विभीषिका संगोष्ठी पश्चात शहर में मौन जुलूस निकाला गया, जिसमें विभाजन के पीड़ितों को श्रद्धांजलि दी गई और सामाजिक एकता का संकल्प दोहराया गया।
इस विभाजन विभीषिका संगोष्ठी कार्यक्रम में जिला अध्यक्ष चेमन देशमुख, निर्वितमान जिला अध्यक्ष एवं हर घर तिरंगा अभियान के जिला संयोजक पवन साहू, पूर्व जिला अध्यक्ष कृष्ण कांत पवार, पूर्व विधायक प्रीतम साहू,वरिष्ठ नेता यज्ञदत्त शर्मा, प्रदेश कार्य समिति सदस्य अभिषेक शुक्ला, जिला महामंत्री द्वय राकेश छोटू यादव, सौरभ लुनिया, नगरपालिका अध्यक्ष तोरण साहू, वरिष्ठ नेता रमन टुवानी, लक्ष्मी चंद लुनीवाल,उपाध्यक्ष ठाकुर राम चंद्राकार,कौशल साहू, टिनेश्वर बघेल,प्रेम साहू पवन सोनबरसा, मंत्री सुरेंद्र देशमुख,सोमेश सोरी,निशा योगी, सह कोषाध्यक्ष मनीष झा,कार्यालय मंत्री विनोद जैन, मीडिया प्रभारी कमल पनपालिया, राजेश दसोडे, नरेश यदू,सोशल मीडिया शेखर वर्मा,मंडल अध्यक्ष, अमित चोपड़ा धर्मेंद्र साहू आनंद शर्मा योगेंद्र सिंह कुलदीप साहू विश्वास गुप्ता सुरेश साहू विवेक वैष्णव प्रमोद जैन प्रदीप साहू संजीव मानकर,ईसा प्रकाश साहू, अश्वनी यादव,होरी लाल रावटे,चंद्र प्रकाश गांधी,अकबर तिगाला,अबरार सिद्धकी,रौनक कत्याल, जनार्दन सिन्हा ,पुरुषोत्तम चंद्राकर, रुपेश नायक ,देवघर साहू, कमलेश गौतम, सुमेंद्र देशमुख, अजेंद्र साहू, मोहंतीन बाई चोरका, रेखा चौहान, अमरिका ठाकुर, भुनेश्वरी कुंभकार, सुनीता मनहर, संदीप जैन, श्रीकांत वर्मा ,पुष्पेंद्र तिवारी, दीपक लोढ़ा, नितेश वर्मा ,शरद ठाकुर, संजय साहू, हरिकृष्ण गंजीर, पुरुषोत्तम गंगबेर,एवं बालोद जिले से आए सभी मोर्चा, प्रकोष्ठ, जनप्रतिनिधि गण, व समस्त कार्यकर्ता उपस्थित रहे।
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