शाहजहांपुर : बरसात के मौसम में किसान बैंगन की खेती बड़े पैमाने पर करते हैं. बैंगन की मांग बाजार में भी काफी रहती है. नर्सरी में तैयार पौधों को खेत में रोपने के बाद पहली तुड़ाई 50-70 दिनों में शुरू हो जाती है. एक बार जब फसल तैयार हो जाती है, तो वह लगभग 4 से 6 महीने तक लगातार फल देती रहती है. लेकिन बरसात के मौसम में बैंगन में फल भेदक और तना छेदक अटैक करता है, जिसकी वजह से बैंगन के पौधों को नुकसान होता है. समय पर ध्यान न देने पर कई बार पूरा पौधा सूखकर नष्ट हो जाता है, जिसकी वजह से किसानों को भारी नुकसान होता है.
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जिला उद्यान अधिकारी डॉ. पुनीत कुमार पाठक ने बताया कि बैंगन की फसल में बरसात के दिनों में फल छेदक और तना छेदक कीट हमला करते हैं. समय पर ध्यान ना दिया जाए तो 60% से भी ज्यादा नुकसान हो सकता है. यह कीट सबसे पहले पौधे के अंकुर को निशाना बनाता है. अगर किसान समय पर रोकथाम कर लें तो फसल को सुरक्षित बचाया जा सकता है. नियंत्रण के लिए जैविक और रासायनिक उपाय किए जा सकते हैं.
कीट कैसे करते हैं हमला?
तना छेदक बैंगन के सबसे नरम तने को पहले निशाना बनाता है. यह अंकुर को काटता है, जिसके बाद अंकुर मुरझा कर सूख जाता है. जिसकी वजह से पौधे की ग्रोथ प्रभावित होती है. ठीक इसी तरह से फल भेदक कीट भी फल के अंदर घुसकर फल को सड़ा देता है. इसकी वजह से उत्पादन में गिरावट आती है, फल की गुणवत्ता खराब हो जाती है. किसानों को बाजार में अच्छा भाव नहीं मिलता.
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कीट नियंत्रण के जैविक उपाय
कीट नियंत्रण के लिए किसान जैविक उपाय भी कर सकते हैं जो कि सस्ता और प्रभावी रहता है. फल की गुणवत्ता भी बेहतर होती है. किसान 5ml नीम तेल को प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव कर दें. यह कीट नियंत्रण के लिए कारगर होगा. इसके अलावा ट्राईकोग्रामा चिलोनिस से भी कीट नियंत्रण किए जा सकते हैं. ट्राइकोग्रामा चिलोनिस एक छोटा परजीवी ततैया है जो कीटों के अंडों पर परजीवी के रूप में रहता है. दुश्मन कीट की संख्या को बढ़ाने नहीं देता है. किसान एक हेक्टेयर फसल में ट्राईकोग्रामा चिलोनिस 50 हजार की संख्या में इसको रिलीज कर दें. ऐसा करने से कीट की रोकथाम हो जाएगी. अगर किसान तत्काल राहत चाहते हैं तो किसी रसायन का भी छिड़काव कर सकते हैं.
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