लाल किले से RSS की तारीफ पर सियासी तूफान,कांग्रेस बोली- पीएम संघ को खुश कर रहे

लाल किले से RSS की तारीफ पर सियासी तूफान,कांग्रेस बोली- पीएम संघ को खुश कर रहे

 नई दिल्ली :  प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस पर लालकिले से अपने भाषण में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की प्रशंसा की। विपक्षी दलों को यह नहीं सुहाई और इसे लेकर तीखी आलोचना कर रहे हैं। कांग्रेस ने इसे बेहद परेशान करने वाला और खेदजनक करार दिया। वहीं, भाजपा ने कांग्रेस की आलोचना को खारिज करते हुए कहा कि आरएसएस की विचारधारा आज भारत के सार्वजनिक विमर्श को आकार दे रही है।

कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि प्रधानमंत्री के भाषण का सबसे परेशान करने वाला पहलू आरएसएस का नाम लेना था, जो एक संवैधानिक, धर्मनिरपेक्ष गणराज्य की भावना का स्पष्ट उल्लंघन है। उन्होंने कहा कि यह पीएम मोदी के 75वें जन्मदिन से पहले संघ को खुश करने का एक हताश प्रयास है।

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भारत का विमर्श आरएसएस की विचारधारा से प्रभावित- मालवीय

इस पर भाजपा के आइटी विभाग के प्रमुख अमित मालवीय ने याद दिलाया कि देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने 1963 में गणतंत्र दिवस परेड में शामिल होने के लिए आरएसएस को आमंत्रित किया था और इसे देशभक्तों का संगठन कहा था।

मालवीय ने कहा कि आज भारत का सार्वजनिक विमर्श आरएसएस की विचारधारा से प्रभावित है, जबकि कांग्रेस न केवल हमारे समय की वास्तविकताओं से बल्कि स्वयं नेहरू से भी अलग-थलग है।

अखिलेश यादव ने किया कटाक्ष

वहीं, समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने पीएम मोदी के भाषण पर कटाक्ष करते हुए कहा कि उन्हें अंग्रेजों को उसके 100 साल पूरे होने पर बधाई देनी चाहिए, क्योंकि उन्होंने कुछ संगठन इसलिए बनाए थे ताकि देश को धार्मिक आधार पर बांटा जा सके। भाजपा ने खुद धर्मनिरपेक्षता के रास्ते पर चलने का संकल्प लिया था। आरएसएस की विचारधारा धर्मनिरपेक्षता से मेल नहीं खाती।

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माकपा महासचिव एमए बेबी ने कहा कि यह बेहद खेदजनक है। महात्मा गांधी की हत्या के बाद आरएसएस पर प्रतिबंध लगा दिया गया था और इतिहासकारों ने सांप्रदायिक दंगे भड़काने में संगठन की भूमिका का दस्तावेजीकरण किया है। एआइएमआइएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने संघ की प्रशंसा को स्वतंत्रता संग्राम का अपमान करार दिया।









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