नई दिल्ली : पितृपक्ष, जिसे श्राद्ध पक्ष भी कहा जाता है, हिंदू धर्म में इसका बहुत ज्यादा महत्व है। यह अवधि 16 दिनों तक चलती है। यह वह समय होता है, जब लोग अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति और मुक्ति के लिए विभिन्न अनुष्ठान करते हैं। ऐसा माना जाता है कि इन 16 दिनों में पितृ देवता पृथ्वी लोक पर आते हैं और अपने वंशजों द्वारा दिए गए तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध कर्म को स्वीकार करते हैं और उन्हें आशीर्वाद देते हैं।हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल पितृ पक्ष की शुरुआत 07 सितंबर 2025 से होगी। वहीं, इसकी समाप्ति सर्व पितृ अमावस्या यानी 21 सितंबर 2025 को होगी।
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पितृपक्ष का महत्व
गरुड़ पुराण और मत्स्य पुराण जैसे धार्मिक ग्रंथों में पितृपक्ष का विशेष महत्व बताया गया है। ऐसी मान्यता है कि पितृपक्ष में श्राद्ध करने से पितृदोष से मुक्ति मिलती है और पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। जिन लोगों की कुंडली में पितृदोष होता है, उनके लिए इस दौरान श्राद्ध करना अत्यंत लाभकारी माना जाता है। ऐसे में इस अवधि में पितरों का तर्पण और पिंडदान जरूर करें।
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श्राद्ध की प्रमुख तिथियां इस प्रकार हैं -
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