हल्दी कई सारे पोषक तत्वों और गुणों से भरपूर होती है, जिसकी वजह से सदियों से इसका इस्तेमाल औषधी के रूप में किया जाता रहा है. इसमें एंटीवायरल और एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं, जो बीमारियों बचाने में मदद करते हैं और आपको हेल्दी बनाते हैं. वहीं हल्दी की खेती कई मायनों में फायदेमंद है, खासकर किसानों के लिए. यह एक नकदी फसल है जिसकी मांग हमेशा बनी रहती है, जिससे अच्छी कमाई की जा सकती है. हल्दी का उपयोग मसाले, दवाएं, और सौंदर्य उत्पादों में किया जाता है, जिससे इसकी बाजार में हमेशा मांग रहती है. इसके अलावा, हल्दी की खेती के लिए ज्यादा पानी या सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती, जिससे यह कम लागत में उगाई जा सकती है.
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कमालगंज के किसान ने बताया कि वह हर वर्ष कई बीघा खेत में हल्दी की फसल उगाते हैं. इस उम्र में वह ऐसी फसल करना वाजिब समझते हैं जिसमें कम मेहनत लगे. हल्दी की फसल काफी मुफीद है. एक बीघा में बुवाई करने के लिए लगभग 15 हजार रुपए की लागत आती है. यह प्रति किलो 60 से 80 रुपए की दर से बिकती है. 90 से 120 दिनों में यह फसल तैयार हो जाती है और एक बीघा में चार से पांच क्विंटल तक की पैदावार हो जाती है.
आवारा पशु नहीं करते नुकसान
दूसरी फसलों की अपेक्षा हल्दी की फसल में छुट्टा मवेशी नुकसान नहीं पहुंचाते हैं. इसके पौधे को ये पशु खाना कम पसंद करते हैं और घुईया जमीन के अंदर होती है, जिससे इन पशुओं को इसे खाना मुश्किल होता है. इस कारण यह फसल नुकसान से बची रहती है.
फ्री में होती है खाद तैयार
किसान बताते हैं कि जब भी हल्दी की खेती करते हैं, तो पौधों से इसे अलग करने के बाद उन पौधों को खेतों में एक तरफ इकट्ठा कर जैविक खाद बनाते हैं. इसका प्रयोग करने से दूसरी फसलों की पैदावार भी बढ़ जाती है. इस प्रकार किसान डबल कमाई कर रहे हैं.
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यह है खेती का तरीका
सबसे पहले ऐसी भूमि का चयन करें जहां जल निकासी का समुचित साधन हो. इसके साथ ही हल्दी के उत्तम गुणवत्ता के बीजों की बुवाई की जाती है. समय-समय पर नराई और सिंचाई की जाती है. जब यह फसल तैयार हो जाती है, तो खेत से निकालकर सफाई करने के बाद मंडी में बिक्री कर दी जाती है.
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