गरियाबंद : गरियाबंद में बदलते मौसम के साथ ही मौसमी बीमारियों ने दस्तक दे दी है। वायरल बुखार, खांसी-जुकाम और पेट से जुड़ी बीमारियों के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। जिला अस्पताल में मरीजों की भारी भीड़ उमड़ रही है। वहीं दूसरी तरफ एनएचएम कर्मी हड़ताल में चले गए हैं, ऐसे में स्वास्थ्य सेवाएं इस बढ़ते दबाव को संभाल पाने में नाकाम नजर आ रही हैं।
गरियाबंद जिला अस्पताल के ओपीडी में लंबी-लंबी कतारें लग रही हैं और मरीज घंटों इंतज़ार करने के बाद भी डॉक्टर से मिलने में असमर्थ हैं। कई अस्पतालों में दवाओं और ज़रूरी जांच सुविधाओं का अभाव देखा जा रहा है। आरोप है कि अस्पताल में डॉक्टरों के नाम की लंबी फेहरिस्त जरूर लगी है, लेकिन उनमें से अधिकांश डॉक्टर मिलते नहीं हैं। दो–चार ऐसे डॉक्टर हैं, जो मौजूद रहते हैं, जिनके पास मरीजों की लंबी लाइन लगी रहती है।
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–मरीजों की आपबीती–
अस्पताल पहुंचे मरीजों और परिजनों ने बताया कि जिला अस्पताल में सुविधाओं का अभाव बना हुआ है। मौसमी बीमारी के मरीज ज्यादा आ रहे हैं, लेकिन उपचार करने के लिए गिनती के ही डॉक्टर मौजूद रहते हैं। मरीजों के लिए बेड की भी कमी है, आरोप लगाया कि गरियाबंद में नाममात्र का जिला अस्पताल बना दिया गया है। हालांकि अस्पताल में मौजूद डॉक्टर इमरजेंसी के साथ ही पीड़ित मरीजों का भी ट्रीटमेंट कर रहे हैं, लेकिन अचानक मौसमी बीमारी के मरीजों की संख्या बढ़ने से उन्हें थोड़ी दिक्कतों का सामान करना पड़ रहा है। अस्पताल प्रबंधन लगातार स्थिति को नियंत्रण में लाने की कोशिश कर रहे हैं। अस्पताल में अतिरिक्त बिस्तर और स्टाफ की व्यवस्था के रही है।
–जनता में आक्रोश–
अस्वस्थ वातावरण, मच्छरों की भरमार और साफ-सफाई की कमी ने लोगों की परेशानियाँ और बढ़ा दी है। लोगों का कहना है कि प्रशासन केवल आपदा आने पर जागता है, पहले से कोई तैयारी नहीं की जाती।
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बताना लाजिमी होगा कि मौसमी बीमारियों का प्रकोप हर वर्ष देखने को मिलता है, लेकिन प्रशासन की ढीली कार्यशैली हर बार जनता की जान पर भारी पड़ती है। अब समय है कि स्वास्थ्य व्यवस्था को सिर्फ कागजों पर नहीं, ज़मीनी स्तर पर मज़बूत किया जाए।



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