सुप्रीम कोर्ट ने की बड़ी टिप्पणी,शिक्षकों को सम्मानजनक वेतन नहीं देना देश में ज्ञान के महत्व को घटाता है

सुप्रीम कोर्ट ने की बड़ी टिप्पणी,शिक्षकों को सम्मानजनक वेतन नहीं देना देश में ज्ञान के महत्व को घटाता है

नई दिल्ली :  सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि शिक्षकों के साथ सम्मानजनक व्यवहार नहीं करना और उन्हें सम्मानजनक वेतन नहीं देना देश में ज्ञान के महत्व को घटाता है। इससे उन लोगों की प्रेरणा शक्ति कमजोर होती है जिन पर देश की बौद्धिक पूंजी के निर्माण का दायित्व है।

जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस जोयमाल्या बागची की पीठ ने शिक्षाविदों, लेक्चरर्स और प्रोफेसरों को किसी भी राष्ट्र की बौद्धिक रीढ़ कहा, जो आगामी पीढि़यों के मन और चरित्र को आकार देने में अपना जीवन समर्पित करते हैं।

ये भी पढ़े : मुखिया के मुखारी - हम आपके हैं कौन बनते 

शिक्षकों के वेतन पर पीठ के सवाल

पीठ ने कहा कि कई मामलों में शिक्षकों को दिया जाने वाला वेतन और मान्यता उनके योगदान के महत्व को सही तरीके से नहीं दर्शाती। उचित वेतन और सम्मानजनक व्यवहार सुनिश्चित करके हम शिक्षकों की भूमिका के महत्व को पुष्ट करते हैं। ऐसा करके हम गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, नवाचार और युवाओं के उज्जवल भविष्य के प्रति राष्ट्र की प्रतिबद्धता को सुदृढ़ करते हैं।

समान कार्य के लिए समान वेतन का सिद्धांत लागू करते हुए पीठ ने निर्देश दिया कि गुजरात में संविदा पर नियुक्त कुछ सहायक प्रोफेसर, सहायक प्रोफेसरों के लिए स्वीकार्य न्यूनतम वेतनमान के हकदार होंगे। पीठ ने गुजरात हाई कोर्ट के दो फैसलों के विरुद्ध दायर अपीलों पर यह फैसला सुनाया।

'दिया जाता रहा है कम वेतन'

पीठ ने कहा कि समानता के उचित दावे से कहीं अधिक यह बात परेशान करने वाली है कि कैसे इस मामले में सहायक प्रोफेसरों के पद पर आसीन लेक्चरर्स को लगभग दो दशकों तक इतना कम वेतन दिया जाता रहा और वे इसी पर जीवनयापन कर रहे हैं। हमें सूचित किया गया है कि स्वीकृत 2,720 पदों में से केवल 923 पद ही नियमित हैं।

ये भी पढ़े : अनुशासनहीनता पड़ी भारी, जिला शिक्षा अधिकारी ने सहायक शिक्षक को किया निलंबित

वेतन पर कोर्ट ने जताई चिंता

इस कमी को दूर करने और शैक्षणिक गतिविधियों की निरंतरता सुनिश्चित करने के लिए राज्य सरकार ने तदर्थ और संविदा नियुक्तियों का सहारा लिया। यह चिंताजनक है कि सहायक प्रोफेसरों को 30,000 रुपये मासिक वेतन मिल रहा है। अब समय आ गया है कि राज्य इस मुद्दे पर विचार करे और उनके द्वारा किए जाने वाले कार्यों के आधार पर वेतन ढांचे को तर्कसंगत बनाए।








You can share this post!


Click the button below to join us / हमसे जुड़ने के लिए नीचें दिए लिंक को क्लीक करे


Related News



Comments

  • No Comments...

Leave Comments