फसल में वृद्धि का अचूक मंत्र : बस धान रोपाई के 30 दिनों के अंदर कर लें यह काम

फसल में वृद्धि का अचूक मंत्र : बस धान रोपाई के 30 दिनों के अंदर कर लें यह काम

यदि आप धान की खेती कर रहे हैं तो फसल की सही देख-रेख बेहद जरूरी है. इसके लिए हमने क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र चियांकी के कृषि वैज्ञानिक डॉ प्रमोद कुमार से खास बातचीत की है. इस दौरान फसल में वृद्धि का एक अचूक मंत्र बताया है. जिससे जबरदस्त पैरावार की संभावना बढ़ जाएगी.

झारखंड और बिहार सहित देश भर में खरीफ सीजन के दौरान बड़े पैमाने पर धान की खेती की जाती है. यह खेती किसान पारंपरिक और आधुनिक दोनों विधियों से करते हैं. धान की अच्छी पैदावार के लिए प्रबंधन बेहद जरूरी है. धान की रोपाई के बाद उसकी देख-रेख करना उतना ही महत्वपूर्ण है जितना सही समय पर रोपाई करना. सही प्रबंधन से उत्पादन में बढ़ोतरी होती है और किसानों को अधिक मुनाफा मिलता है.

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दअरसल, धान की रोपाई के बाद देखभाल करना बेहद जरूरी है. अगर आप धान की पहली बार खेती कर रहे है तो किसी एक्सपर्ट से इसकी खेती और प्रबंधन को लेकर सलाह जरूर लें. धान की रोपाई के 30 दिनों के भीतर टिलरिंग का समय आता है. यह फसल के जीवन चक्र का सबसे अहम चरण माना जाता है. इस दौरान धान के पौधे अधिक ऊर्जा की मांग करते हैं.

क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र चियांकी के कृषि वैज्ञानिक डॉ प्रमोद कुमार ने लोकल18 को बताया कि धान के टिलरिंग की प्रक्रिया में एक पौधे से कई पौधे बनने लगते हैं, यानी यह फसल की बढ़ोतरी का समय होता है. इस समय उचित पोषण की जरूरत पड़ती है. यदि इस समय उचित पोषण नहीं दिया गया, तो उत्पादन पर सीधा असर पड़ सकता है.

उन्होंने बताया कि टीलरिंग के समय धान को नाइट्रोजन की सबसे ज्यादा जरूरत पड़ती है. नाइट्रोजन पौधे की वृद्धि और कल्ले फूटने में मदद करता है. इसके लिए किसानों को यूरिया का छिड़काव करना जरूरी है. टीलरिंग के समय यूरिया डालने से पौधों में ज्यादा कल्ले फूटते हैं, जिससे फसल घनी और मजबूत होती है. इससे उत्पादन बढ़ता है और किसानों को बेहतर उपज मिलती है.

कृषि विशेषज्ञ के अनुसार धान के पूरे जीवन चक्र में प्रति कट्ठा लगभग 3 किलो यूरिया का इस्तेमाल करना चाहिए. इसमें टीलरिंग के समय 30 प्रतिशत नाइट्रोजन का छिड़काव करना जरूरी होता है. यह छिड़काव पौधे की अधिकतम वृद्धि सुनिश्चित करता है और कल्ले की संख्या बढ़ाता है. ध्यान रखें कि यूरिया का सही मात्रा में और सही समय पर इस्तेमाल करना जरूरी है, क्योंकि ज्यादा या कम यूरिया फसल को नुकसान पहुंचा सकता है.

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उन्होंने कहा कि सही समय पर पोषण देने से फसल में मजबूती आती है और धान के दाने भी अच्छे विकसित होते हैं. टीलरिंग के दौरान यूरिया डालने से न केवल कल्ले अधिक निकलते हैं, बल्कि पौधे में हरियाली बनी रहती है और रोगों का खतरा भी कम हो जाता है. यही वजह है कि धान की खेती में प्रबंधन और पोषण का ध्यान रखना सबसे बड़ा कदम है.








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