मंत्री और महामंत्री दोनों पद मिला सरगुजा को अब जनता की उम्मीदों पर खरा उतरना है असली चुनौती

मंत्री और महामंत्री दोनों पद मिला सरगुजा को अब जनता की उम्मीदों पर खरा उतरना है असली चुनौती

 

 
राजीव कश्यप अंबिकापुर : पिछले दिनों छत्तीसगढ़ प्रदेश की राजनीति में दो बड़े परिवर्तन हुए, जिनमें एक है सत्तासीन भाजपा सरकार में मंत्रिमंडल का विस्तार तथा दूसरा भाजपा प्रदेश संगठन में कार्यसमिति पदाधिकारियों की घोषणा। दोनों ही अत्यंत महत्वपूर्ण बड़े परिवर्तन में सरगुजा को मिले अत्याधिक महत्व व सम्मान ने लोगों को ध्यान अपनी ओर खींचा है। मंत्रिमंडल विस्तार में जहां अंबिकापुर विधायक राजेश अग्रवाल ने केबिनेट मंत्री के रूप में शपथ लिया वहीं दूसरी ओर प्रदेश भाजपा में महामंत्री के रूप में सरगुजा से भाजपा नेता अखिलेश सोनी को अवसर मिला। अप्रत्याशित रूप से एक साथ मंत्री और महामंत्री दोनों पद सरगुजा को मिलना एक एतिहासिक घटना है। सरगुजा जिले से भाजपा सरकार में कोई पहली बार मंत्री बना तो प्रदेश भाजपा में भी महामंत्री कोई सरगुजा से पहली बार ही बना है। 2023 के चुनाव में सरगुजा संभाग से पूरी 14 विधानसभा सीटें जीतने के बाद जब भाजपा सरकार के मंत्रिमंडल में मुख्यमंत्री विष्णु देव साय सहित आदिवासी नेता रामविचार नेताम, मनेंद्रगढ़ विधायक श्याम बिहारी जायसवाल तथा भटगाँव से पहली बार विधायक बनीं श्रीमती लक्ष्मी राजवाड़े को मंत्री बनाया गया तो लगा जैसे कि अब तो सरगुजा संभाग को बहुत मिल गया, परंतु भाजपा सरकार ने अंबिकापुर विधायक राजेश अग्रवाल को मंत्रिमंडल विस्तार में शामिल करके सबको पुनः चौंका दिया। हालांकि पिछली कॉंग्रेस सरकार की तुलना में सरगुजा को जो लालबत्तीयों की फौज मिली थी ये उससे बहुत कम है।
 

वर्तमान सरगुजा जिले की बात करें तो भूपेश सरकार में एक उपमुख्यमंत्री, एक केबिनेट मंत्री तथा चार केबिनेट मंत्री दर्जा प्राप्त निगम, मंडल, बोर्ड तथा आयोग के प्रभावशाली अध्यक्ष विराजमान थे।सरगुजा लाल बत्ती के मामले में तब भी पीछे नहीं था और अब भी पीछे नहीं है। वर्तमान विष्णु देव सरकार में केबिनेट मंत्री, छत्तीसगढ़ गृह निर्माण मंडल तथा युवा आयोग अध्यक्ष के रूप में जहां तीन लाल बत्ती सरगुजा अंचल को अब तक मिल चुका है, वहीं भाजपा संगठन में प्रदेश महामंत्री के रूप में जिले को मिली महत्वपूर्ण जवाबदारी को भी लाल बत्ती की श्रेणी में रखा जा सकता है। कुल मिलाकर सरकार और संगठन दोनों में ही सरगुजा जिले को स्थान देकर सामंजस्य स्थापित करने का समुचित प्रयास प्रदेश भाजपा ने किया है। सरगुजा जिले के भाजपा पदाधिकारी कार्यकर्ताओं में वर्तमान नियुक्तियों को लेकर जहां भारी उत्साह व हर्ष है, वहीं जिले की आम जनता में सरगुजा के सर्वांगीण विकास को लेकर एक नई उम्मीद भी जगी है। ये कहने में कोई संकोच नहीं कि बरसात के इस मौसम में सड़कों की हालत को लेकर जिले की आम जनता में थोड़ा आक्रोश जरूर है जिसका सामना भाजपा सरकार और संगठन दोनों को करना पड़ रहा है। परंतु यह भी सच है कि उसी जनता को बरसात के बाद चीजें बेहतर होने की उम्मीद भी "हमने बनाया है, हम ही संवारेंगे" का थीम लेकर कार्य करने वाली इसी भाजपा सरकार से है। आम जनता की नाराजगी कहीं आंदोलन का रूप न ले ले इस बात का ध्यान रखकर भाजपा के जनप्रतिनिधियों को न केवल काम करना होगा बल्कि उन्हें अपने पिछले इतिहास से सबक भी लेना होगा।

ये जनता है साहब! सब जानती है, कभी सर पे बिठाती है तो कभी धूल चटाती है। 2018 के विधानसभा चुनाव में 90 में से 75 सीटें जीतकर इतिहास बनाने वाली कॉंग्रेस पार्टी को छत्तीसगढ़ में भला कौन हरा पाता? सरगुजा संभाग में 14-0 से जीतकर बीजेपी का सूपड़ा साफ करने वाली कॉंग्रेस को पिछले चुनाव में 0-14 की हार का सामना क्यूँ करना पड़ता? 2018 के अंबिकापुर विधानसभा चुनाव में कॉंग्रेस प्रत्याशी को मिली चालीस हजार की अप्रत्याशित लीड पिछले चुनाव में क्यूँ ग़ायब हो जाती? याद रखिए, पिछली कॉंग्रेस सरकार में भी सरगुजा को रिकॉर्ड 6 लालबत्ती मिली थी परंतु आम जनता का विश्वास उन्हें नहीं मिला। केवल पांच वर्षों में ही अलोकप्रिय हुई कॉंग्रेस की भूपेश सरकार की हार के कारणों की समीक्षा कर बहुत कुछ सीखा जा सकता है। शायद, यह समय भाजपा की सरकार और संगठन दोनों के लिए जोश से ज्यादा होश का है। हालांकि भाजपा की विष्णु देव सरकार को अभी लगभग डेढ़ साल ही हुए हैं फिर भी शेष बचे कार्यकाल में जनता की उम्मीदों पर खरा उतरना ही भाजपा के जनप्रतिनिधियों के लिए असली चुनौती है।








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