फिल्म द बंगाल फाइल्स को लेकर चल रहे विवाद के बीच अभिनेत्री पल्लवी जोशी ने कही बड़ी बात

फिल्म द बंगाल फाइल्स को लेकर चल रहे विवाद के बीच अभिनेत्री पल्लवी जोशी ने कही बड़ी बात

पल्लवी जोशी भारतीय सिनेमा की उन खास अभिनेत्रियों में गिनी जाती हैं, जिन्होंने अपने अभिनय से ऑडियंस का दिल तो जीता ही, साथ ही समाज से जुड़े गंभीर मुद्दों को भी सच्चाई के साथ पर्दे पर उतारा। ‘द ताशकंद फाइल्स’ और ‘द कश्मीर फाइल्स’ के बाद अब वह ‘द बंगाल फाइल्स’ लेकर आई हैं।

‘द बंगाल फाइल्स’ जैसी संवेदनशील फिल्म का आइडिया कब और कैसे आया? क्या आपको वो पहला दिन याद है जब यह बीज बोया गया था?

2012 की बात है... मैं और विवेक घर पर बैठे थे और यूं ही चर्चा हो रही थी। अक्सर लोग कहते हैं कि ‘ये होना चाहिए, वो होना चाहिए’ लेकिन कोई कदम नहीं उठाता। उसी पल हमने तय किया कि अगर बदलाव चाहिए तो शुरुआत हमें ही करनी होगी।

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यहीं से विचार आया कि लोकतंत्र के तीन बुनियादी अधिकारों पर फिल्में बनानी चाहिए -  सत्य का अधिकार, न्याय का अधिकार और जीवन का अधिकार।

पहली फिल्म 'द ताशकंद फाइल्स' सत्य के अधिकार पर बनी, जिसमें शास्त्री जी की मौत का रहस्य उठाया। दूसरी, 'द कश्मीर फाइल्स' न्याय के अधिकार पर, जिसमें कश्मीरी पंडितों की पीड़ा दिखाई। अब 'द बंगाल फाइल्स' जीवन के अधिकार पर केंद्रित है।

2020 में लॉकडाउन के दौरान रिसर्च ने रफ्तार पकड़ी। पांच साल तक डेटा इकट्ठा किया, दर्जनों ड्राफ्ट्स लिखे और अंत में कहानी उस रूप में सामने आई, जिस पर हमें विश्वास है। हमारी मंशा हमेशा सच्चाई सामने लाने की रही है। लोग इसे प्रोपेगैंडा कहते हैं, लेकिन हमारी नीयत सिर्फ इतनी है कि जनता तक वो सच पहुंचे जिसे अक्सर छिपा दिया जाता है।

एक क्रिएटिव पर्सन के तौर पर आप अलग-अलग ओपिनियन और आलोचना को कैसे हैंडल करती हैं?

सच कहूं तो मैं उन बातों में नहीं पड़ती। 'ताशकंद फाइल्स' और 'कश्मीर फाइल्स' ने यह साबित कर दिया कि जितनी बातें होती हैं, उससे कहीं ज्यादा लोग हमारी फिल्मों को देखने आते हैं।

मेरी जिम्मेदारी सिर्फ अपनी ऑडियंस के प्रति है। वही मेरी प्राथमिकता हैं, न कि वो लोग जो मुझे सम्मान ही नहीं देते।

कश्मीर की बात लें तो यह देखना जरूरी है कि उस समय सत्ता में कौन था, किसने पंडितों की मदद की और किसने नहीं की। हमने यह मुद्दा उठाया तो कई लोग असहज हो गए। लेकिन जब फिल्म आई, तो सच सामने था और सोशल मीडिया पर अचानक 'कश्मीर फाइल्स' ट्रेंड करने लगी। मुझे तब एहसास हुआ कि हमने वही दिखाया जो लोग अंदर ही अंदर महसूस कर रहे थे।

उस समय मैं सिर्फ 20-23 साल की थी, एक्ट्रेस थी, फिल्ममेकर नहीं। लेकिन अब जब हकीकत सामने आई है, तो हमारा मकसद यही है कि ऐसी त्रासदियां दोबारा ना हों।

इसी सोच के साथ हमने 'बंगाल फाइल्स' बनाई है। लोग क्या सोचते हैं, यह उनका हक है। हमारा काम सिर्फ इतना है कि सच सामने लाएं और बदलाव की दिशा में चर्चा शुरू करें।

बंगाल में कुछ नेताओं और संगठनों ने आपकी फिल्म का विरोध किया, स्क्रीनिंग तक रोकने की कोशिश की। उस वक्त आपके अंदर क्या चल रहा था और आपने इन सिचुएशन से कैसे निपटा?

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मैं राजनीति में गहराई से नहीं पड़ती, क्योंकि जितना उसमें उलझो उतना ही जटिल होता जाता है। लेकिन अगर सीधा हमला होता है तो चुप भी नहीं रहती।

ट्रेलर लॉन्च और प्राइवेट इवेंट्स में जो हुआ, वह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण था। पहले थिएटर की परमिशन कैंसिल करवाई गई, फिर एक निजी इवेंट में बिना किसी कारण पुलिस अंदर घुस आई। वहां कई महिला पत्रकार मौजूद थीं, उनकी सुरक्षा का कोई ध्यान नहीं रखा गया। माहौल इतना असहज हो गया कि विवेक को मुझे बाहर ले जाना पड़ा।

यह विरोध नया नहीं है, 2022-23 से ही इसकी शुरुआत हो चुकी थी। हमें अंदेशा था कि ट्रेलर लॉन्च में रुकावट आ सकती है, लेकिन ट्रेलर ही रोक दिया जाएगा, यह नहीं सोचा था।

फिल्म बनाने में वर्षों की मेहनत और भावनाएं लगती हैं और उसे इस तरह रोकना बेहद निराशाजनक है। फिर भी अब मेरा पूरा ध्यान सिर्फ फिल्म की रिलीज पर है, ताकि ऑडियंस अपनी आंखों से सच देख सकें।

पल्लवी जोशी का वर्कफ्रंट
'द बंगाल फाइल्स' से पहले पल्लवी 'तन्वी द ग्रेट' फिल्म में भी अभिनय कर चुकी हैं। विवेक अग्निहोत्री के निर्देशन में बनी 'द बंगाल फाइल्स' में 100 वर्ष की महिला का किरदार निभा रही हैं। ये फिल्म 5 सितंबर 2025 को रिलीज होने वाली है।








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