मशरूम एक ऐसी फसल है जिसे न सिर्फ सब्जी के रूप में बल्कि इसका पावडर बनाकर भी खाया जाता है. जिले में कई लोग मशरूम की खेती से अच्छी आमदनी प्राप्त कर रहे है. इसे लगाने के लिए किसी खेत या मिट्टी की जरूरत नहीं है, बल्कि घर के एक कमरे में भी उगा सकते है. आइए जानते है कैसे?
मशरूम खेती आजकल गांव और शहर दोनों जगहों में तेजी से लोकप्रिय हो रही है. इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसके लिए खेत की जरूरत नहीं होती. केवल घर का एक कमरा ही काफी है. खरगोन में कई किसान इसे अपनाकर महज 1 महीने में अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं. एक्सपर्ट कहते हैं कि सही तरीके से मशरूम की खेती करने पर सालाना लाखों रुपए की कमाई हो सकती है.
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बता दें कि, पहले मशरूम को केवल बड़े शहरों और होटलों तक ही सीमित माना जाता था. लेकिन अब छोटे कस्बों और गांवों में भी इसकी मांग बढ़ गई है. लोग इसे सब्जी, सूप, स्नैक्स और पाउडर के रूप में इस्तेमाल करते हैं. इसलिए अब किसान पारंपरिक फसलों की जगह मशरूम की खेती की ओर रुख कर रहे है.
मशरूम की खेती करने वाले युवा किसान एवं ट्रेनर रणजीत भालसे बताते है कि, मशरूम की सबसे खास बात यह है कि इसे खेत में धूप और मिट्टी की जरूरत नहीं होती. यह ठंडी और नमी वाली जगह में अच्छा उत्पादन देता है. इसलिए घर के एक कमरे को थोड़े बदलाव के साथ आसानी से मशरूम उत्पादन के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है.
खेती की प्रक्रिया भी बहुत आसान है. इसके लिए गेहूं के भूसे या धान के पुआल को गर्म पानी में उबालकर सुखा लिया जाता है. फिर बैग में भरकर उसमें मशरूम का बीज यानी "स्पॉन" डाल दिया जाता है. इन बैग को कमरे में रखकर नमी और तापमान नियंत्रित किया जाता है. 20 से 25 दिन के भीतर ही सफेद मशरूम निकलने लगते हैं.
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लागत की बात करें तो मशरूम खेती की शुरुआत 20 से 25 हजार रुपए से हो जाती है. एक कमरे में 100 बैग तक तैयार किए जा सकते हैं. इससे महीने भर में 200 से 250 किलो तक मशरूम का उत्पादन होता है. बाजार में इसकी कीमत 150 से 250 रुपए किलो तक मिलती है. यानी हर महीने 40 से 50 हजार रुपए तक की आमदनी संभव है.
कृषि विभाग भी किसानों को मशरूम खेती के लिए प्रोत्साहित कर रहा है. कई जगहों पर प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं. यहां किसानों को बीज, तकनीक और सब्सिडी की जानकारी दी जाती है. इससे उन्हें मशरूम खेती को बड़े स्तर पर करने का मौका मिलता है.
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