सरगुजा :ब्लाक लखनपुर क्षेत्र के सभी समितियों में खाद नहीं मिलने से आसपास के किसान काफी आक्रोशित हैं। दरअसल इस वर्ष खरीफ के सीजन में शुरू से ही रासायनिक उर्वरक खाद की किल्लत बनी रही किसी तरह समितियों को खाद सप्लाई किया गया । किसानों को सिर्फ भरोसा दिलाया गया कि जल्द इफको डीएपी पोटाश यूरिया उपलब्ध कराये जाने आश्वासन मिलता रहा - खाद नहीं!
रोपा लगाते समय कमोवेश किसानों को किसी प्रकार ऋण में खाद उपलब्ध कराई गई । लेकिन मौजूदा समय में अब धान फ़सल में यूरिया डालने की आवश्यकता है तो क्षेत्र के किसी भी समितियों में यूरिया नहीं है।
किसान भटक रहे हैं। अपने जरूरत को देखते हुए दूसरे शहर के दूकानों से ऊंचे किमत में यूरिया खाद लाकर खेतों में डाल रहे हैं। नगर लखनपुर के दूकानों में भी यूरिया गायब हैं।
ग्राम पंचायत राजपुरी कला के आश्रित धनपुरी पारा के किसान देवसिंह ने बताया - अमेरा समिति में पिछले दो तीन माह से रासायनिक यूरिया नहीं है।
मजबूरन विश्रामपुर से 1200/- सौ रुपए प्रति बोरी खरीद कर खेत में डाला हूं।
इसी तरह ग्राम गोरता परसापारा के किसान गजराज राजवाड़े ने बताया कि यूरिया खाद नहीं मिलने कारण सूरजपुर जिला से किसी तरह जुगाड कर 1200/- रूपये के दर से लाकर खेत में डाला हूं। कुछ लोग उदयपुर के नीजी दुकानो से यूरिया खाद लाकर खेतों में डालें है। यहां वहां जहां कहीं से भी जुगाड हो रहा है यूरिया खाद लाकर किसान अपने खेतों में डाल रहे हैं। खरीफ़ सीजन के शुरुआती दिनों में
रासायनिक खाद इफको डीएपी पोटाश के लिए हाहाकार मची हुई थी अब यूरिया केलिए मची हुई है। शासन द्वारा 273 रूपये प्रति बैग बेची जाने वाला यूरिया निर्धारित दर से चार पांच गुना अधिक दाम पर किसान यूरिया ख़रीद कर खेतों में डाल रहे हैं। क्षेत्र के
किसानों का कहना है इससे पहले इस तरह की परेशानी खाद के लिए नहीं हुई थी। आखिर अन्न दाताओं से ऐसा भेदभाव क्यों हो रहा है। यह समझ के परे है।
बयान,--जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक मर्यादित शाखा प्रबंधक कमल नयन पांडेय ने बताया कि डेढ़ माह पहले डीएमओ दफ्तर में खाद की डिमांड भेजी गई है। लेकिन वहां भी खाद उपलब्ध नहीं होने से समितियों में यूरिया की किल्लत बनी हुई है। सीजन के शुरू से अब तक के दौर में समितियों को पर्याप्त मात्रा में खाद नहीं मिल पाया है। यूरिया खाद की इतनी कमी आज तक कभी नहीं हुआ था।
बहरहाल क्षेत्र के किसान यूरिया खाद के लिए काफी परेशान हैं।



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