रायपुर :राजधानी रायपुर समेत देश के कई राज्यों में दहशत का पर्याय बन चुके कुख्यात गैंगस्टर और अंतरराज्यीय अपराधी मयंक सिंह को छत्तीसगढ़ एटीएस ने आखिरकार झारखंड से गिरफ्तार कर लिया है। बताया जा रहा है कि मयंक सिंह लॉरेंस बिश्नोई गिरोह का खास सदस्य है और प्रदेश में हुई कई गैंगवार, फायरिंग और रंगदारी मामलों का मास्टरमाइंड रहा है। अब पुलिस उसे ट्रांजिट रिमांड पर रायपुर लाने की तैयारी कर रही है, जहां उससे पीआरए ग्रुप फायरिंग केस और अन्य गंभीर अपराधों को लेकर पूछताछ की जाएगी।
अजरबैजान से लेकर झारखंड तक पीछा
सूत्रों के मुताबिक, 10 अक्टूबर 2024 को इंटरपोल ने मयंक सिंह के खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया था, जिसके बाद उसकी तलाश देशभर की एजेंसियां कर रही थीं। लंबे समय तक भूमिगत रहने के बाद मयंक को अजरबैजान से गिरफ्तार कर प्रत्यर्पण प्रक्रिया के जरिए भारत लाया गया। इसके बाद से वह झारखंड पुलिस की गिरफ्त में था। अब छत्तीसगढ़ एटीएस उसे रायपुर ट्रांजिट रिमांड पर लाने की तैयारी में है।
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पीआरए ग्रुप दफ्तर पर फायरिंग से फैली थी दहशत
13 जुलाई 2024 को रायपुर के तेलीबांधा थाना क्षेत्र स्थित पीआरए ग्रुप के ऑफिस पर अंधाधुंध फायरिंग की गई थी। पल्सर बाइक पर सवार दो नकाबपोश शूटर ऑफिस के बाहर पहुंचे और पार्किंग में गोलियां बरसानी शुरू कर दीं। गोलियों की आवाज सुनकर वहां मौजूद कारोबारी, ड्राइवर और कर्मचारी जान बचाकर ऑफिस के अंदर भागे। जवाबी कार्रवाई में सुरक्षाकर्मियों ने भी 2–3 राउंड फायरिंग की, जिसके बाद हमलावर मौके से फरार हो गए। जांच में सामने आया कि इस हमले की साजिश मयंक सिंह ने रची थी। घटना के बाद पुलिस ने झारखंड और पंजाब में टीमें भेजकर कार्रवाई की और अब तक इस केस में 12 आरोपियों की गिरफ्तारी हो चुकी है।
कारोबारी, बिल्डरों और बड़े उद्योगपतियों को धमकी
छत्तीसगढ़ एटीएस के अधिकारियों के अनुसार, मयंक सिंह का गिरोह रायपुर, बिलासपुर, दुर्ग, भिलाई समेत प्रदेश के कई जिलों में सक्रिय था। गिरोह के सदस्य बड़े कारोबारियों और कंपनियों को विदेशी नंबर से कॉल कर रंगदारी मांगते और धमकाते थे। कई बार रकम वसूलने के लिए शादीशुदा महिलाओं का इस्तेमाल कर ब्लैकमेलिंग की जाती थी। यही नहीं, हथियारों की तस्करी और गैंगवार की घटनाओं में भी उसका नाम लगातार सामने आता रहा है।
आपराधिक साम्राज्य कई राज्यों में फैला
एटीएस जांच में सामने आया है कि मयंक सिंह सिर्फ छत्तीसगढ़ ही नहीं बल्कि झारखंड, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और दिल्ली तक फैले आपराधिक नेटवर्क को संचालित कर रहा था। मार्च 2025 में झारखंड एटीएस ने मयंक के करीबी सहयोगी अमन साका को पकड़ा था। उसी की निशानदेही पर पुलिस मयंक तक पहुंचने में सफल हुई। पूछताछ में यह भी पता चला कि वह लगातार लॉरेंस बिश्नोई गैंग से जुड़े शार्प शूटरों और अपराधियों के संपर्क में था।
हाई-प्रोफाइल मामलों में नाम
मयंक सिंह का नाम सिर्फ पीआरए ग्रुप गोलीकांड में ही नहीं बल्कि कई हाई-प्रोफाइल गैंगवार, हत्या, लूट और धमकी के मामलों में भी दर्ज है। पुलिस रिकॉर्ड के मुताबिक, वह बड़े उद्योगपतियों को निशाना बनाने और कारोबारियों से करोड़ों की उगाही करने के लिए अलग-अलग तरीकों का इस्तेमाल करता था। कई बार सोशल मीडिया पर वीडियो जारी कर दहशत फैलाना और पुलिस को चुनौती देना उसकी रणनीति का हिस्सा रहा है।
पुलिस को मिली बड़ी राहत
छत्तीसगढ़ एटीएस को उम्मीद है कि मयंक सिंह से पूछताछ के बाद प्रदेश में सक्रिय कई आपराधिक नेटवर्क का पर्दाफाश होगा। अधिकारियों का कहना है कि उसकी गिरफ्तारी से रायपुर और आसपास के जिलों में रंगदारी और फायरिंग की घटनाओं में कमी आएगी। साथ ही पुलिस को उन कारोबारियों और लोगों तक भी पहुंचने में मदद मिलेगी, जिन्हें गैंगस्टर द्वारा धमकी दी गई थी। तेलीबांधा थाना पुलिस और एटीएस अब मयंक सिंह को रायपुर लाकर अदालत में पेश करेगी। इसके बाद उसे रिमांड पर लेकर पूछताछ की जाएगी। पुलिस की प्राथमिकता पीआरए ग्रुप फायरिंग केस, रंगदारी नेटवर्क और हथियारों की तस्करी के मामलों की कड़ियों को जोड़ना है।
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