आज हम आपको भगवान शिव के 12 पवित्र ज्योतिर्लिंगों में से एक सोमनाथ ज्योतिर्लिंग के बारे में बताने जा रहे हैं। जिससे संबंधित कथा शिव पुराण में मिलती है। सोमनाथ ज्योतिर्लिंग की कथा चंद्र देव और राजा दक्ष के श्राप से जुड़ी हुआ है। चलिए जानते हैं इस अद्भुत ज्योतिर्लिंग के बारे में।
क्या है पौराणिक कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, चंद्रमा का विवाह दक्ष प्रजापति की 27 कन्याओं के साथ हुआ था, लेकिन वह सबसे अधिक रोहिणी से प्रेम करते थे। जिससे अन्य पत्नियां दुखी थीं, उन्होंने इस बात की शिकायत अपने पिता से की।
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तब दक्ष प्रजापति ने चंद्रमा को यह श्राप दिया था, कि वह धीरे-धीरे अपनी चमक खो देंगे और उनका क्षय होने लगेगा। इस श्राप से मुक्ति पाने के लिए, चंद्रमा ने प्रभास क्षेत्र में भगवान शिव की तपस्या की और एक शिवलिंग की स्थापना की।
महादेव ने दिया यह वरदान
चंद्रमा की तपस्या से प्रसन्न होकर महादेव प्रकट हुए और चंद्रमा को श्राप से राहत देते हुए यह वरदान (Shiva’s boon) दिया कि वह 15 दिन बढ़ेंगे और 15 दिन घटेंगे। तब चंद्रदेव ने भगवान शिव से ज्योतिर्लिंग के रूप में वहां निवास करने का अनुरोध किया। भगवान शिव ने उनकी इस बात को स्वीकार किया, जिसके बाद इस ज्योतिर्लिंग को सोमनाथ ज्योतिर्लिंग के रूप में जाना जाता है।
मंदिर की खासियत
धार्मिक महत्व होने के साथ-साथ सोमनाथ मंदिर अपनी अद्भुत वास्तुकला के लिए भी काफी प्रसिद्ध है। मंदिर में हमेशा एक अखंड ज्योति जलती रहती है। इसके मंदिर से जुड़ी एक और बात इसे खास बनाती है, कि इस मंदिर पर कई बार आक्रमण किया जा चुका है और कई बार इसका पुनर्निर्माण हुआ।
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मान्यताओं के अनुसार, इस ज्योतिर्लिंग का दर्शन करने से भक्तों के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है। साथ ही यह भी माना जाता है कि यहां दर्शन करने से जातक को चंद्र दोष से भी मुक्ति मिल सकती है।
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