सरगुजा : सनातन से चली आ रही परंपरा को कायम रखते हुए नगर लखनपुर सहित आसपास ग्रामीण इलाकों में हरितालिका व्रत (तीजा) उत्साह के साथ मनाया गया सुहागिन महिलाओं ने अपने सुहाग रक्षा के लिए तथा कुवारी कन्याओं ने मनपसंद वर पाने की कामना से हरितालिका व्रत किया। 36 घंटे का यह निर्जला उपवास भादों मास के शुक्ल पक्ष तृतीया तिथि को मनाई जाती है।
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पौराणिक मान्यता है कि माता पार्वती ने भगवान शिव शंकर को पति के रूप प्राप्त करने के लिए इस निर्जला व्रत को किया था। सखियां माता पार्वती को चुरा (हर) कर ले गई थी, इसी वजह से इस व्रत का नाम हरतालिका पड़ा। बहरहाल मंदिर देवालयों तथा नीज निवास में महिलाएं एकत्रित हो कर भगवान शिव शंकर माता पार्वती के पूजा अर्चना कर हरितालिका व्रत की कथा सुना। 36 घंटे की निर्जला कठोर उपवास रखने के बाद बुधवार को पारण कर व्रत खोला। पूरे आस्था के साथ हरतालिका तीज त्यौहार मनाया गया। इस मौके पर सुदूर आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों में तीजा करमा नृत्य का आयोजन हुआ जिसमे शामिल होकर महिला पुरुष एक साथ मांदर के थाप पर जमकर थिरके। उल्लास के साथ हरतालिका (तीज) व्रत मनाया गया।
जिले में जहां पकवान खाने खिलाने का दस्तूर है वहीं कच्ची महुआ शराब पीने पिलाने का रिवाज भी इस त्योहार का अभिन्न हिस्सा रहा है।
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