गरियाबंद : भारतीय जनता पार्टी जिला गरियाबंद में संगठनात्मक हलचल तेज हो गई है। 28 जुलाई 2025 को घोषित जिला पदाधिकारियों की सूची ने पार्टी के भीतर गहरी दरार पैदा कर दी है। कार्यकर्ताओं और वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि यह सूची न केवल परामर्श के अभाव में बनाई गई है।बल्कि इसमें पक्षपात और व्यक्तिगत हित साफ झलकते हैं।कार्यकर्ताओं की उपेक्षा,निष्ठा पर चोट पार्टी कार्यकर्ताओं का आरोप है कि वर्षों से भाजपा के लिए मेहनत और समर्पण से काम करने वाले नेताओं की अनदेखी कर दी गई। सूची में शामिल किए गए नामों पर सवाल उठाते हुए कहा जा रहा है कि उनका चयन कार्यकुशलता के बजाय करीबी संबंधों और व्यक्तिगत प्रभाव के आधार पर हुआ है।इस वजह से जमीनी स्तर पर कार्यकर्ताओं का मनोबल टूट रहा है।
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आरोपों के केंद्र में जिला अध्यक्ष अनिल चंद्राकर हैं।कार्यकर्ताओं का कहना है कि उन्होंने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए पूर्व विधायक संतोष उपाध्याय के करीबी लोगों को तरजीह दी।साथ ही यह भी आरोप है कि पदाधिकारी सूची तैयार करते समय न तो कोर कमेटी की बैठक बुलाई गई और न ही पूर्व सांसदों,पूर्व विधायकों और वरिष्ठ नेताओं से कोई राय ली गई।इतना ही नहीं,चंद्राकर पर अवैध वसूली,तबादलों में पैसों की लेन-देन,नगरीय निकाय और पंचायत चुनावों में टिकट वितरण के दौरान आर्थिक लाभ लेने जैसे गंभीर आरोप भी कार्यकर्ताओं द्वारा लगाए गए हैं। पार्टीजनों का कहना है कि उनके रहन-सहन और जीवनशैली में अचानक आए बदलाव से संदेह गहराता जा रहा है।संगठन में बढ़ता असंतोष वरिष्ठ कार्यकर्ताओं का मानना है कि यदि समय रहते इस विवाद को नहीं सुलझाया गया तो आगामी चुनावों में पार्टी को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है।उनका कहना है कि भाजपा जैसे संगठनात्मक अनुशासन वाली पार्टी में व्यक्तिगत हितों को तवज्जो देने से कार्यकर्ताओं में मोहभंग की स्थिति बन रही है।आक्रोशित कार्यकर्ताओं ने मांग रखी है कि विवादास्पद पदाधिकारी सूची को तत्काल निरस्त किया जाए।नई सूची सर्वसम्मति और कोर कमेटी की सहमति से तैयार की जाए।जिला अध्यक्ष अनिल चंद्राकर पर लगे आरोपों की जांच कर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए।यह विवाद अब भाजपा के शीर्ष नेतृत्व के लिए चुनौती बन गया है। गरियाबंद का यह घमासान आने वाले दिनों में पार्टी की रणनीति और एकजुटता पर बड़ा असर डाल सकता है।पूर्व विधायक संतोष उपाध्याय ने अपने करीबी को पद दीया हैं।जिला महामंत्री आशीष शर्मा,चंद्रशेखर साहू, उपाध्यक्ष ईश्वर साहू,मंत्री जगदीश यदु,तृप्ति बनर्जी,कोषाध्यक्ष अजय रोहरा जो विपक्ष के समय संगठन में सक्रिय नहीं थे।जिसे संगठन का अनुभव नहीं हैं।दोनों जिला महामंत्री राजिम विधानसभा से बनाया गया हैं। उपाध्यक्ष गुरु नारायण तिवारी,प्रीतम सिन्हा पर अवैध उगाही वसूली काम करते हैं।क्षेत्र में दोनों की छबि धूमिल हैं।
उपाध्यक्ष पदुमलोचन जगत को लेकर झाखरपारा मण्डल में कार्यकर्ताओं में नराजगी हैं।माली एवम यादव समाज उपेक्षित महसूस कर राह हैं।जिला मंत्री सुरेन्द्र सोनटेक पर पूर्व मंडल अध्यक्ष रहते काम में निष्क्रिय रहें।वर्तमान में नगर पालिका में सभापति हैं।एक साथ दो पद सत्ता एवम संगठन में इसे लेकर कार्यकर्ताओं में नराजगी हैं।श्रृति ध्रुरुवा,मनीष सिन्हा ये अनुभवहीन कार्यकर्ता को पद दिया गया। जिलाध्यक्ष के करीबी हैं।प्रवक्ता राधेश्याम सोनवानी ये बूथ अध्यक्ष, स्कूल समिति अध्यक्ष हैं।उसके बाद भी प्रवक्ता बनाया गया हैं।इसे भाषण देना नहीं आता साथ ही पांच साल कांग्रेस सरकार के विरुद्ध एक भी बयान जारी नहीं किया हैं।इसे लेकर कार्यकर्ताओं में नराजगी हैं।झाखरपारा मंडल के अध्यक्ष को हटाने के लिए भी कार्यकर्ताओं ने क्षेत्रिय संगठन महामंत्री अजय जामवाल से इसकी शिकायत किया हैं।झाखरपारा मण्डल में कार्यकर्ताओं में बहुत ही नराजगी हैं।मण्डल के बैठक में ही कार्यकर्ता नहीं पहुंच पा रहें हैं।पूर्व विधायक संतोष उपाध्याय एवम पूर्व प्रदेश महामंत्री जगदीश रामू रोहरा के साथ मिलकर जिलाध्यक्ष अनिल चंद्राकर ने सूची जारी किया हैं।यह सभी आरोप झाखरपारा मण्डल भाजपा कार्यकर्ता और गरियाबंद जिला के कार्यकर्ताओं द्वारा प्रदेश अध्यक्ष किरण सिंह देव एवम क्षेत्रिय संगठन महामंत्री अजय जामवाल से लिखित में शिकायत कार्यकर्ताओं द्वारा किया गया। कब होगी कार्यवाही प्रदेश संगठन पर नजर टिकीं हैं। कार्यकर्ताओं की उम्मीद गरियाबंद भाजपा में इस समय घमासान मचा हैं।
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