CG में इन गणेश प्रतिमाओं सर्व हिंदू समाज ने जताई नाराजगी,SSP को सौंपा ज्ञापन

CG में इन गणेश प्रतिमाओं सर्व हिंदू समाज ने जताई नाराजगी,SSP को सौंपा ज्ञापन

 रायपुर: राजधानी में गणेशोत्सव के दौरान पंडालों में विराजित गणपति प्रतिमाओं के स्वरूप का विरोध शुरू हो गया है। पारंपरिक स्वरूप से अलग बनाए गए गणपति की प्रतिमाओं को लेकर सर्व हिंदू समाज ने नाराजगी जताई है। सोमवार को संगठन के प्रतिनिधि एसएसपी कार्यालय पहुंचकर ज्ञापन सौंपा। साथ ही दोषियों पर कार्रवाई करने, गणेश प्रतिमाओं का विसर्जन करने की मांग की।

'धार्मिक भावनाएं हो रही आहत'

सर्व हिंदू समाज की ओर से विश्वदिनी पांडेय ने कहा कि पूरे देश में गणेशोत्सव मनाया जा रहा है। शहर में भी जगह-जगह पंडाल सजाए गए हैं। कुछ गणेश पंडालों में बप्पा के पारंपरिक स्वरूप से हटकर कार्टून या क्यूट अंदाज में पेश किया गया है। इससे समाज की धार्मिक भावनाएं आहत हो रही है। लाखेनगर, मारूति विहार कोटा, विवेकानंद आश्रम, गुढ़ियारी, देवेंद्र नगर समेत अन्य जगहों पर गणेशजी के मूल स्वरूप की जगह अन्य तरह के गणेश बैठाए गए हैं।

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छोटे बच्चें गणेश के इस स्वरूप को देख रहे हैं, इसी को ही मूल स्वरूप मानने लगेंगे। गणेश जी के इन स्वरूपों को देखकर लोग मजाक बना रहे हैं, ये हमारी आस्था पर चोट है। इससे धार्मिक आयोजनों की पवित्रता प्रभावित हो रही है। सर्व हिंदू समाज देवी-देवताओं के मूल स्वरूप के साथ हो रहे खिलवाड़ को बर्दाश्त नहीं करेंगे। हमने एसएसपी को ज्ञापन देकर ऐसी समितियों के ऊपर कार्रवाई करने और गणेश प्रतिमाओं का विसर्जन करवाने की मांग की है। मांग पूरी नहीं होती तो हम उग्र प्रदर्शन करेंगे।

गणेश प्रतिमा किस थीम पर बनी है, आयोजकों को नहीं पता

गणेश जी के मूल स्वरूप से हटकर प्रतिमा विराजित करने वाले पंडाल आयोजकों को पता ही नहीं है कि उनके पंडाल में जो गणेश जी स्थापित है। उसकी थीम क्या है। गणेश के इस लीला को दिखा रहे हैं। हिंदू धर्म का एक तरह से मजाक बनाया जा रहा है। आधुनिकता को धर्म के साथ जोड़ना गलत है। अपने मनोरंजन के लिए देवी-देवताओं के मूल स्वरूप के साथ खिलवाड़ करना गलत है।

धार्मिक उत्सव बना मनोरंजन

सर्व हिंदू समाज के लोगों ने कहा कि बाल गंगाधर तिलक ने गणेशोत्सव की शुरुआत आजादी के लिए होने वाले आंदोलनों की रूपरेखा बनाने के लिए किया था। आजादी के बाद यह गणेशोत्सव एक धार्मिक उत्सव का रूप ले लिया, लेकिन अब लोग इसे मनोरंजन का साधन बना लिए हैं। निर्धारित तिथि पर न गणेश स्थापना करते और न ही विसर्जन। जब डीजे की व्यवस्था होगी। तभी विसर्जन होगा। ये परंपरा भी गलत है।

 







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