बीजापुर : बीजापुर के भोपालपटनम विकासखंड के दूरस्थ गाँवों की गलियों से एक ऐसा नाम निकला है, जिसने शिक्षा को सिर्फ पाठ्यपुस्तक तक सीमित नहीं रखा, बल्कि बच्चों के सपनों तक पहुँचाया। वह नाम है – जगदीश तोर्रेम। शिक्षा क्षेत्र में उनके अद्वितीय योगदान को मान्यता देते हुए इस वर्ष उन्हें राज्यपाल पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
एक शिक्षक की यात्रा
जगदीश तोर्रेम ने अपने जीवन की शुरुआत साधारण परिस्थितियों से की। लेकिन शिक्षा के प्रति उनका जुनून असाधारण था। उन्होंने कभी नहीं चाहा कि बच्चे भी वही कठिनाइयाँ झेलें जो उन्होंने देखीं। यही कारण रहा कि उन्होंने विद्यालय को केवल किताबों तक सीमित न रखकर बच्चों के जीवन में उम्मीद और आत्मविश्वास भरने का काम किया।
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वंचितों तक रोशनी पहुँचाने का संकल्प
दूरस्थ, आदिवासी और नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में बच्चों को स्कूल तक लाना आसान काम नहीं था। लेकिन श्री तोर्रेम ने इसे चुनौती नहीं, अवसर समझा। वे गाँव-गाँव पहुँचे, अभिभावकों को समझाया, बच्चों का हाथ थामकर उन्हें शिक्षा के आँगन तक लाए। उनके प्रयासों से ऐसे सैकड़ों बच्चे पढ़ाई की मुख्यधारा से जुड़े, जिन्हें समाज ने लगभग खो दिया था।
सम्मान का पल
राज्यपाल पुरस्कार मिलने के बाद बीजापुर ही नहीं, पूरा शिक्षा जगत गर्व से भर उठा। विकासखंड शिक्षा अधिकारी पी. नागेंद्र कुमार, सहायक शिक्षा अधिकारी श्रीनिवास एटला और स्रोत समन्वयक शंकर यालम ने कहा—
“श्री तोर्रेम का यह सम्मान सिर्फ उनका नहीं, बल्कि पूरे जिले का सम्मान है। उनका कार्य हर शिक्षक के लिए प्रेरणा है।”
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आने वाली पीढ़ियों के लिए संदेश
तोर्रेम की कहानी यह सिखाती है कि शिक्षक सिर्फ ज्ञान का वाहक नहीं, बल्कि परिवर्तन का सूत्रधार होता है। उनका कार्य इस बात का प्रमाण है कि समर्पण और सेवा से समाज की तस्वीर बदली जा सकती है। आज उनका सम्मान न केवल एक शिक्षक की उपलब्धि है, बल्कि बीजापुर की मिट्टी से निकली उस रोशनी का उत्सव है, जो आने वाली पीढ़ियों को मार्ग दिखाती रहेगी।
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