22 दिन से हड़ताल पर डटे संविदा NHM कर्मियों से मिलने पहुंचे भगवान शिव–पार्वती,सरकार की अनदेखी से नाराज़ कोरोना योद्धा, अब भगवान से लगा रहे गुहार

22 दिन से हड़ताल पर डटे संविदा NHM कर्मियों से मिलने पहुंचे भगवान शिव–पार्वती,सरकार की अनदेखी से नाराज़ कोरोना योद्धा, अब भगवान से लगा रहे गुहार

बिलाईगढ़  : प्रदेशभर में संविदा एनएचएम स्वास्थ्यकर्मी अपनी 10 सूत्रीय मांगों को लेकर पिछले 22 दिनों से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं। सरकार की बेरुख़ी और बार-बार की अनदेखी से आक्रोशित होकर 16,000 से अधिक स्वास्थ्यकर्मी पहले ही सामूहिक इस्तीफा दे चुके हैं। लगातार साथियों की मृत्यु, बर्खास्तगी आदेश और प्रशासनिक दमनकारी रवैये ने इस आंदोलन को और तीखा बना दिया है।प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था चरमराई हुई है। मरीजों को समय पर इलाज और सेवाएं नहीं मिल रही हैं। जनता परेशान है, लेकिन सरकार संविदा स्वास्थ्यकर्मियों से संवाद करने के बजाय चुप्पी साधे हुए है। इसी कड़ी में सारंगढ़–बिलाईगढ़ जिले के स्वास्थ्यकर्मियों ने एक अनोखा विरोध प्रदर्शन किया।

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सोमवार को धरना स्थल पर भगवान शिव–पार्वती की झांकी सजाई गई। मानो कैलाश पर्वत से उतरकर भोलेनाथ और माता पार्वती स्वयं हड़तालियों की व्यथा सुनने पहुँचे हों। प्रतीकात्मक रूप से भगवान शिव–पार्वती ने स्वास्थ्यकर्मियों से संवाद कर उनकी समस्याएँ सुनीं और तत्पश्चात प्रदेश के मुखिया श्री विष्णुदेव साय को "कॉल" कर जल्द से जल्द मांगों पर सकारात्मक निर्णय लेने की सलाह दी।यह अनूठा दृश्य धरना स्थल पर उपस्थित लोगों के बीच चर्चा का विषय रहा। आंदोलनकारियों ने कहा कि जब धरती की सरकार सुनने को तैयार नहीं है, तो हमें भगवान से ही गुहार लगानी पड़ी।जिले के करीब 190 संविदा स्वास्थ्यकर्मी पहले ही सामूहिक त्यागपत्र प्रशासन को सौंप चुके हैं।

जिलाध्यक्ष योगेश्वर चन्द्रम ने कहा –

“लगातार संविदा स्वास्थ्यकर्मी सरकार से संवाद और समाधान की उम्मीद कर रहे हैं, लेकिन सरकार संवेदनहीन रवैया अपना रही है। इससे आम जनता को स्वास्थ्य सेवाओं में भारी समस्या का सामना करना पड़ रहा है। यदि शीघ्र मांगों पर ठोस आदेश जारी नहीं होते, तो यह हड़ताल और आंदोलन जारी रहेगा।”उन्होंने आगे कहा कि यह विरोध प्रदर्शन पूरे प्रदेश में सबसे अलग और प्रभावशाली है, क्योंकि इसमें जनता भी हमारे साथ है। यहाँ तक कि अधिकारी भी इस अनोखे विरोध को देख मुस्कुराए बिना नहीं रह पाए।

अब आंदोलन के हालात दिन-ब-दिन गंभीर होते जा रहे हैं और कर्मचारियों का आक्रोश बढ़ता ही जा रहा है। यदि सरकार ने शीघ्र पहल नहीं की, तो छत्तीसगढ़ की स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरह से ठप हो सकती है।









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