नेपाल में जेन-जी का विरोध प्रदर्शन: बांग्‍लादेश-श्रीलंका और अब नेपाल,क्या संकट में है सरकार?

नेपाल में जेन-जी का विरोध प्रदर्शन: बांग्‍लादेश-श्रीलंका और अब नेपाल,क्या संकट में है सरकार?

काठमांडू :  नेपाल में अतीत में कई विद्रोह हुए हैं, जिनमें युवाओं की भूमिका अहम रही है। पिछले वर्ष प्रदर्शनकारियों ने फिर से राजशाही की मांग की थी क्योंकि यहां राजनीतिक अस्थिरता के चलते 16 वर्षों में 13 बार सरकारें बदल चुकी हैं, लेकिन वर्तमान विरोध प्रदर्शन श्रीलंका और बांग्लादेश में भ्रष्टाचार व भाई-भतीजावाद के विरुद्ध युवाओं के आंदोलन जैसा लगता है।

नेपाल की तरह श्रीलंका (2022) और बांग्लादेश (2024) के आंदोलन में भी ‘जेन-जी’ सबसे आगे थी। जेनरेशन-जी का मतलब 1997 और 2012 के बीच पैदा हुई पीढ़ी से है। इन्हें इंटरनेट और इंटरनेट मीडिया सहित आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करते हुए बड़ी हुई पहली पीढ़ी माना जाता है।

 

ये भी पढ़े : मुखिया के मुखारी - हम आपके हैं कौन बनते

श्रीलंका और बांग्लादेश की फ्लैशबैक कहानी

श्रीलंका और बांग्लादेश में इसी पीढ़ी ने विद्रोह की अगुआई की थी। नेपाल की तरह इन दोनों देशों में विरोध प्रदर्शन तत्कालीन सरकार के विरुद्ध थे। दोनों मामलों में विरोध प्रदर्शन शुरू में राजनीतिक नहीं रहे और नेपाल में भी ऐसा ही है।

श्रीलंका में हिंसा - श्रीलंका में ईंधन और खाद्य पदार्थों की बढ़ती कमी ने जेन-जी को प्रदर्शन के लिए प्रेरित किया। प्रदर्शन शुरू में शांतिपूर्ण थे, लेकिन बाद में राष्ट्रपति भवन पर कब्जे में बदल गए, जिसके बाद राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने इस्तीफा दे दिया था।

प्रदर्शनकारियों ने बाद में राष्ट्रपति भवन और प्रधानमंत्री कार्यालय पर हमला कर दिया, जिससे अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान आंदोलन पर गया। कई रिपोर्टों में कहा गया कि प्रदर्शनकारियों में राजनीतिक ताकतें भी थीं, जिनके अपने स्वार्थ थे। 2024 में नई सरकार के सत्ता में आने के बाद नीति और शासन में कुछ बड़े बदलाव हुए हैं।

बांग्लादेश में हिंसा- बांग्लादेश में छात्रों ने तत्कालीन सरकार की नौकरी में कोटा नीति के विरुद्ध बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों का तर्क था कि आरक्षण से योग्य लोगों के बजाय राजनीतिक निष्ठावानों को फायदा होता है। प्रदर्शन बढ़ने पर सुरक्षा बलों ने बल प्रयोग किया।

अंत में प्रदर्शनकारियों ने प्रधानमंत्री आवास घेर लिया, जिससे शेख हसीना को 5 अगस्त 2024 को देश छोड़कर भागना पड़ा और उनकी 16 वर्ष की सत्ता का अंत हो गया। इसके बाद छात्र नेताओं ने भविष्य के चुनाव लड़ने के लिए नेशनल सिटीजन पार्टी बनाई और नोबेल पुरस्कार विजेता डा. मुहम्मद यूनुस की देखरेख वाली अंतरिम सरकार में शामिल हो गए।

नेपाल में हिंसा

नेपाल की तरह बांग्लादेश में भी यह आंदोलन डिजिटल रूप से जानकार युवा कार्यकर्ताओं ने चलाया, जिन्होंने विरोध प्रदर्शनों के लिए पारंपरिक पार्टी संरचनाओं को दरकिनार कर वायरल वीडियो और इंक्रिप्टेड चैट का इस्तेमाल किया। श्रीलंका की तरह बांग्लादेश के छात्रों ने लगातार प्रदर्शन और जन आंदोलन के माध्यम से सरकार गिरा दी थी।

आंदोलन में शामिल हुए अराजक तत्व

नेपाल के संचार और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री पृथ्वी सुब्बा गुरुंग ने बताया,

देशव्यापी जेन-जी आंदोलन में अराजक और प्रतिक्रियावादी तत्व शामिल हो गए थे। जेन-जी आंदोलन की मांगें भ्रष्टाचार की जांच और प्रतिबंधित इंटरनेट मीडिया की बहाली थी, लेकिन सरकारी कार्यालयों को निशाना बनाकर तोड़फोड़ की गई, इसके बाद कई दुखद घटनाएं हुईं।

जेन-जी आंदोलन के नेताओं ने भी कहा कि बाहरी तत्वों की घुसपैठ के कारण हिंसा हुई। उन्होंने (बाहरी तत्वों ने) तोड़-फोड़ की और जबरन संसद भवन में घुसने की कोशिश की, जिससे हिंसा भड़क गई।

पूर्व डीआइजी हेमंत मल्ला ने कहा, "सरकार की खुफिया एजेंसी ने स्थिति का सही आकलन नहीं किया, जिसके कारण जानमाल का नुकसान हुआ। अगर उन्होंने प्रदर्शन के पैमाने का सही आकलन और तैयारी की होती, तो वे स्थिति को बेहतर ढंग से संभाल सकते थे।"







You can share this post!


Click the button below to join us / हमसे जुड़ने के लिए नीचें दिए लिंक को क्लीक करे


Related News



Comments

  • No Comments...

Leave Comments