दे रहे हैं! अंतिम रूप सजावट को -दूर्गा पंडाल में लगे कारीगर

दे रहे हैं! अंतिम रूप सजावट को -दूर्गा पंडाल में लगे कारीगर

सरगुजा : प्रत्येक साल शारदीय नवरात्र के मौके पर नगर लखनपुर के बाजार पारा एवं प्रतीक्षा बस स्टैंड नवचेतना दूर्गा पंडाल में मां दुर्गा की विशाल आकर्षक मूर्तियां रख कर विजया दशमी पर्व मनाई जाती है यह प्रथा काफी प्राचीन रही है। नगर लखनपुर में दुर्गा पूजा मनाये जाने का एक इतिहास रहा है। बताया जाता है अंग्रेजी हुकूमत के साये में स्वतंत्र भारत से पहले 1944 ईस्वी सन से बाजार पारा लखनपुर में दूर्गा पूजा मनाये जाने की चलन आरंभ हुई जो साल-दर-साल आज भी बरकरार है। वहीं जूना लखनपुर के नवचेतना दूर्गा पूजा समिति द्वारा 1977 ईस्वी में अस्तित्व में आई और बस स्टैंड में शारदीय नवरात्रि के मौके पर प्रतिमा रख दुर्गा पूजा मनाये जाने की प्रथा आरंभ हुई जो निरंतर जारी है।

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इन दोनों पूजा पंडालों में पक्की भवन तो बनाये गये है, लेकिन बस स्टैंड दूर्गा पंडाल को अलग ख़ास तौर पर बास लकड़ी के कारीगरी से सजा कर विशाल मंदिर के शक्ल मे ढाला जाता है। माता दरबार को आकर्षक मंदिर के रूप में सजाने संवारने का काम बाहर से आये कारीगरों द्वारा की जाती है। मौजूदा समय में नवचेतना दूर्गा पूजा पंडाल बस स्टैंड को कारीगरों द्वारा सजा कर अंतिम रूप दिया जा रहा है। ताकि आने वाले चंद सप्ताह में शारदीय नवरात्र विजया दशमी पर्व धूमधाम के साथ मनाई जा सके।









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