सितंबर का महीना आते ही कई राज्यों में धान की फसलों में बालियां आनी शुरू हो जाती हैं. इस महीने धान की फसल को सूखने से बचाने के लिए विशेष ध्यान रखने की जरूरत होती है नहीं तो उत्पादन पर असर पड़ सकता है.
अगर आप किसान हैं और खेतों में धान की बालियां (Ears of Paddy) नजर आने लगी हैं, तो यह फसल की सबसे अहम स्टेज होती है. इस समय थोड़ी-सी लापरवाही पूरी पैदावार पर असर डाल सकती है. अगर आप इन बातों का ध्यान रखें तो पौधे अच्छे से बढ़ेंगे और पैदावार भी बंपर होगी.
कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर अंकित तिवारी बताते हैं कि यदि आपके धान की फसल में बालियां आना शुरू हो गई है तो इन बातों का रखें विशेष ध्यान बंपर होगा पैदावार. सिंचाई, खाद, कीट व रोग नियंत्रण,खेत की निगरानी और घास-फूस हटाएं.
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सिंचाई पर विशेष ध्यान: धान की फसल में जब बालियां निकलती हैं तो पौधों को पानी की सबसे ज्यादा जरूरत होती है. खेत में हमेशा नमी बनी रहनी चाहिए. अगर खेत सूख गया तो दानों का भराव पूरा नहीं होगा और उत्पादन घट सकता है. इसलिए इस समय खेत में हल्का-हल्का पानी लगातार बनाए रखना जरूरी है.
खाद का सही उपयोग: बालियां निकलने के समय पौधे को अतिरिक्त पोषण की जरूरत होती है. इस समय यूरिया और पोटाश का छिड़काव करना बहुत लाभकारी होता है. इससे दाने मोटे और भरे हुए बनते हैं. साथ ही, जिंक सल्फेट का प्रयोग भी करना चाहिए ताकि पौधों में रोगों की संभावना कम हो और फसल मजबूत बने.
कीट और रोग नियंत्रण: इस स्टेज पर धान की फसल में तना छेदक कीड़ा, भूरे महुआ (Brown Plant Hopper) और पत्ती लपेटक जैसे कीटों का हमला हो सकता है. अगर समय पर नियंत्रण न किया गया तो पूरी फसल खराब हो सकती है. किसान को नियमित रूप से खेत की निगरानी करनी चाहिए. किसी भी कीट के दिखते ही तुरंत कृषि वैज्ञानिक की सलाह से दवा का छिड़काव करें.
खेत की निगरानी: बालियां आने के बाद खेत की निगरानी और भी जरूरी हो जाती है. सुबह-शाम खेत का चक्कर लगाएं और पौधों की स्थिति देखें. अगर कहीं पौधे पीले या कमजोर दिखें तो तुरंत कारण जानने की कोशिश करें. समय रहते उपाय करने से नुकसान टल सकता है.
घास-फूस की सफाई: इस समय खेत में खरपतवार (घास-फूस) बिल्कुल नहीं होना चाहिए. ये पौधों के पोषक तत्व और पानी को सोख लेते हैं जिससे धान की वृद्धि प्रभावित होती है. खेत को समय-समय पर साफ करें और खरपतवार को निकाल दें.
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संतुलित प्रबंधन से बंपर पैदावार: कृषि विशेषज्ञ मानते हैं कि यदि किसान इस समय संतुलित सिंचाई, सही खाद, समय पर कीटनाशक का प्रयोग और खेत की निगरानी करते रहें तो फसल अच्छी तरह से तैयार होती है. इससे दाने मजबूत और ज्यादा संख्या में निकलते हैं, जिससे पैदावार कई गुना बढ़ जाती है.
अंकित तिवारी कहते हैं कि धान में बालियां निकलना किसान के लिए खुशी की बात है लेकिन यह खुशी तभी बरकरार रहती है. जब किसान सतर्कता और मेहनत से फसल की देखभाल करता है. अगर थोड़ी-सी लापरवाही हुई तो पूरी मेहनत पर पानी फिर सकता है.
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