भारत देश कई सालों से माओवादियों के कहर से परेशान था. जिसके बाद भारत सरकार ने 'ऑपरेशन कगार' चलाकर माओवादियों की कमर तोड़ दी. हालात ऐसे बने कि अंत में अब सरेंडर की बात हो रही है. जो पूरे भारत में चर्चा का विषय है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, माओवादी संगठन ने अचानक हथियार डालने का ऐलान कर दिया है. उन्होंने कहा है कि वे बिना शर्त हथियार छोड़ने को तैयार हैं. बस वह चाहते हैं कि सरकार तुरंत ऑपरेशन कगार रोक दे और कोई एनकाउंटर न हो.
माओवादी अब सरेंडर करने के मूड में?
ये ऑपरेशन छत्तीसगढ़ और तेलंगाना के जंगलों में चल रहा है, जहां सुरक्षाबल माओवादियों के खिलाफ कार्रवाई कर रहे हैं. हथियार छोड़ने की बात बकायदा एक लेटर जारी करके कहा गया है. यह पत्र सीपीआई (माओवादी) के आधिकारिक प्रवक्ता अभय के नाम से जारी किया गया है.
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अभय ने पत्र में साफ कहा है कि अगर सरकार शर्तों पर राजी हो जाती है, तो वे शांति प्रक्रिया में शामिल हो जाएंगे. ये खबर 16 सितंबर 2025 को सामने आई, और सोशल मीडिया से लेकर न्यूज चैनलों तक इसकी चर्चा हो रही है. सीपीआई (माओवादी) के प्रवक्ता अभय ने 15 अगस्त 2025 को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर बिना शर्त सरेंडर और अस्थायी युद्धविराम की बात कही है. लेकिन उन्होंने एक महीने का समय मांगा है ताकि अपने कैडर और नेताओं से सलाह कर सकें. यह पत्र छत्तीसगढ़ में पत्रकारों को सौंपा गया, जो अब पूरे देश में चर्चा का विषय है.
अमित शाह की सख्ती: 2026 तक नक्सल मुक्त भारत
गृह मंत्री अमित शाह ने मार्च 2026 तक भारत को नक्सल मुक्त करने की डेडलाइन दी है. उन्होंने माओवादियों को चेतावनी दी थी, "हथियार डालो, वरना खत्म कर दिए जाओगे." शाह ने दंतेवाड़ा में कहा, "सरेंडर करो, बस्तर के विकास में शामिल हो." सरेंडर करने वाले गांवों को 1 करोड़ का फंड देने का वादा भी किया. उनकी सख्त नीति और सुरक्षाबलों की कार्रवाई ने माओवादियों को घुटनों पर ला दिया है. 2025 में अब तक 521 माओवादी सरेंडर कर चुके हैं, जबकि 2024 में 881 ने हथियार डाले.
ऑपरेशन कगार का लाल आतंक पर कहर
अप्रैल 2025 से शुरू हुआ ऑपरेशन कागर छत्तीसगढ़-तेलंगाना सीमा पर माओवादियों के खिलाफ चल रहा है. इसने 'लाल आतंक' की कमर तोड़ दी है. विकिपीडिया के मुताबिक, इस ऑपरेशन में 31 माओवादी मारे गए, जिनमें बड़े कमांडर शामिल थे. मई 2025 में गुंडेकोटा एनकाउंटर में माओवादी नेता बसवराज सहित 28 लोग मारे गए. टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट कहती है, " माओवादी चाहते हैं कि सरकार सर्च ऑपरेशन और एनकाउंटर रोके, ताकि शांति वार्ता हो सके.

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