धान की फसल में इन दिनों गंधी बग कीट और चूहों का आतंक मंडरा रहा है. कृषि विशेषज्ञों ने किसानों से सतर्क रहने और समय पर उचित उपाय करने की अपील की है ताकि उनकी मेहनत बर्बाद न हो.
इन दिनों कोरबा जिले के धान के खेत हरियाली से लहलहा रहे हैं और उनमें बालियां निकलने लगी हैं. यह वह समय है जब किसानों की महीनों की मेहनत फसल के रूप में सामने आने वाली होती है, लेकिन इसी नाजुक मोड़ पर दो बड़े दुश्मन,गंधी बग कीट और चूहों का आतंक धान की फसल पर मंडराता है. कृषि विशेषज्ञों ने किसानों से सतर्क रहने और समय पर उचित उपाय करने की अपील की है ताकि उनकी मेहनत बर्बाद न हो.
कृषि विशेषज्ञों ने 'गंधी बग' नामक कीट को इस समय सबसे बड़ी चुनौती बताया है. यह छोटा लेकिन बेहद खतरनाक कीट धान की बालियों में बैठकर दानों का रस चूसकर उन्हें भीतर से खोखला और भुरभुरा बना देता है.इससे न केवल धान की पैदावार में भारी कमी आती है, बल्कि उसकी गुणवत्ता भी बुरी तरह प्रभावित होती है.इस कीट की पहचान इसके शरीर से निकलने वाली तीखी बदबू से आसानी से की जा सकती है.
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गंधी बग के नियंत्रण के लिए फेनवल रेट 20 ई.सी. जैसी रासायनिक दवाओं का प्रयोग कृषि विशेषज्ञों की सलाह पर किया जा सकता है. इसके अलावा, नीम के तेल का छिड़काव और खेतों के आसपास उगने वाले खरपतवारों को नियमित रूप से हटाना भी प्रभावी जैविक उपाय हैं, क्योंकि ये खरपतवार इन कीटों को आश्रय देते हैं.
खेतों में चूहे यूं तो साल भर रहते हैं, लेकिन धान में बालियां आने के बाद इनकी संख्या कई गुना बढ़ जाती है और ये सीधे दानों पर हमला बोलना शुरू कर देते हैं. पहले ये नरम पौधों को नीचे से काटते है, अब इस वक्त इनकी सीधी नजर बालियों पर रहती है.कृषि विशेषज्ञों का अनुमान है कि चूहे प्रति एकड़ 50 किलोग्राम तक धान की फसल चट कर सकते हैं, जिससे किसानों को भारी आर्थिक नुकसान हो रहा है.
किसान अक्सर अपने खेतों में दवाओं का प्रयोग करते हैं, लेकिन सामूहिक प्रयास न होने पर एक खेत के चूहे पड़ोसी खेतों में शरण ले लेते हैं, जिससे समस्या जस की तस बनी रहती है.खासकर सूखे (ड्राई) क्षेत्रों में चूहों का प्रकोप अधिक देखा जाता है. ऐसे में यदि संभव हो तो खेतों में पर्याप्त पानी भरकर रखना इस समस्या को नियंत्रित करने में सहायक हो सकता है.
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