रायपुर: प्रदेश के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल डॉ.आंबेडकर में कैंसर मरीजों का इलाज पिछले दो महीने से अधर में अटका हुआ है। वजह यह कि पिछले दो महीने से छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विस कार्पोरेशन (सीजीएमएससी) ने अस्पताल को दवा खरीदने की एनओसी (अनापत्ति प्रमाण पत्र) जारी नहीं किया है। दवा की सप्लाई बंद है और मरीजों को मजबूरी में बाजार से महंगी दवाइयां खरीदनी पड़ रही है।
कैंसर विभाग में इन दवाओं की कमी
डोसेटैक्सेल, पैक्लिटैक्सेल , कार्बोप्लाटिन , लेनालिडोमाइड , थैलिडोमाइड , गेफिटिनिब , एरलोटिनिब , ईटोपोसाइड और ब्लेमाइसिन जैसी जीवनरक्षक दवाइयां उपलब्ध नहीं हैं। ये सभी औषधियां कैंसर की दवा पद्धति जैसे कीमोथेरेपी और लक्षित चिकित्सा में अनिवार्य हैं। इनके बिना रोगियों का उपचार अधूरा रह जाता है और रोग तेजी से बढ़ने लगता है।
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स्वजनों की जुबानी उनकी परेशानी
रोगियों और उनके स्वजन दवा के लिए बाजार की दौड़ लगा रहे हैं। रोजाना दस से पंद्रह हजार रुपये तक का खर्च केवल दवा पर आ रहा है। ग़रीब और मध्यमवर्गीय परिवार इलाज के लिए कर्ज और उधारी लेने पर मजबूर हैं।
महासमुंद निवासी मोहन चंद्राकर, को मुह में कैंसर है, उनकी पत्नी फफकते हुए कहती हैं- “डॉक्टर इलाज रोकना नहीं चाहते, लेकिन उनके पास दवा ही नहीं है। रोज बाहर से महंगी दवा खरीदनी पड़ रही है। जेवरात गिरवी रखकर इलाज चला रहे हैं, पर आगे क्या होगा, पता नहीं।”
कांकेर से अपने पति का इलाज करवाने आयी महिला ने बताया की “पति की जान बचाने के लिए रिश्तेदारों से कर्ज ले रही हूं। अस्पताल में डॉक्टर कहते हैं कि दवाई नहीं है। जब नईदुनिया टीम ने उन्हें सीजीएमएससी से एनओसी नहीं मिलने वाली बात बताई तो महिला की आंखों में आंशू आ गया और कहने लगी की आखिर हमारी जिंदगी कागजों में क्यों अटकी है?”
डॉक्टरों ने कहा
चिकित्सकों ने कहा है कि कैंसर का उपचार निरंतर और नियमित रहना चाहिए। “यदि दवा बीच में रुक जाती है तो अब तक का पूरा उपचार व्यर्थ हो जाएगा और रोग की स्थिति और बिगड़ जाएगी। यह अत्यंत खतरनाक है।”
सीजीएमएससी पर उठ रहे सवाल
अस्पताल और रोगियों के स्वजनों के बीच अब यही सबसे बड़ा प्रश्न है कि सीजीएमएससी अनुमति क्यों नहीं दे रहा है? अपनी मां का इलाज करवाने आए शशिकांत साहू ने कहा- क्या कागजी प्रक्रिया रोगियों की जान से भी अधिक महत्वपूर्ण है? जब सरकार मुफ्त इलाज और दवा की योजनाओं का दावा करती है, तो प्रदेश के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में जीवनरक्षक दवाइयां क्यों नहीं हैं? दो महीने से अनुमति रोककर रखने का जिम्मेदार आखिर कौन है?
परिजनों की मांग
स्वजनों ने मांग की है कि सीजीएमएससी तुरंत आपातकालीन अनुमति जारी करे, ताकि आंबेडकर अस्पताल दवाइयों की खरीद कर सके। साथ ही यह भी साफ होना चाहिए कि अब तक की देरी किसकी लापरवाही से हुई।
-मैं पूरे मामले को दिखवाती हूं क्यों देरी हो रही है, जल्द से जल्द दवाई उपल्ब्ध करवाने प्रयास किया जाएगा।
-शिखा राजपूत तिवारी, आयुक्त चिकित्सा शिक्षा

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