तीन माह बाद भी किताबें नहीं पहुँचीं शिक्षा की गुणवत्ता पर बड़ा सवाल,परीक्षा नज़दीक,पर किताबें गायब

तीन माह बाद भी किताबें नहीं पहुँचीं शिक्षा की गुणवत्ता पर बड़ा सवाल,परीक्षा नज़दीक,पर किताबें गायब

गरियाबंद : शासन-प्रशासन शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के दावे तो कर रहा है, लेकिन ज़मीनी हकीकत बिल्कुल अलग है। छत्तीसगढ़ में 16 जून से शाला प्रवेश उत्सव का आयोजन किया गया था, जिसमें दावा किया गया था कि विद्यार्थियों को निशुल्क पुस्तकें समय पर मिलेंगी। लेकिन तीन महीने बीत जाने के बावजूद आज तक अधिकांश शालाओं में किताबें नहीं पहुँची हैं।

गुणवत्ता सुधार सिर्फ कागज़ों में

अधिकारियों की ओर से लगातार "निरीक्षण दौरे" किए जा रहे हैं। रजत जयंती सप्ताह, स्वच्छता सप्ताह और अन्य कार्यक्रमों में शिक्षा सुधार के बड़े-बड़े दावे किए जा रहे हैं। मगर सवाल यह है कि जब बच्चों के हाथों में अब तक किताबें ही नहीं पहुँचीं, तो पढ़ाई में सुधार कैसे संभव होगा।

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परीक्षा नज़दीक,पर किताबें गायब

गाँवों में पहली से दसवीं तक की कक्षाओं के लिए शासन की ओर से हर साल मुफ्त किताबें दी जाती हैं। इस बार स्थिति इतनी बदतर है कि 22 सितंबर से तिमाही परीक्षा शुरू होने जा रही है, लेकिन बच्चे अब तक बिना किताबों के हैं।

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार कक्षा 4 की हिंदी व अंग्रेजी, कक्षा 6 का गणित, कक्षा 10 की अंग्रेजी समेत कई विषयों की पुस्तकें आज तक अप्राप्त हैं।

पालकों पर पड़ा आर्थिक बोझ

कई पालकों ने बताया कि मजबूरी में उन्हें निजी खर्च पर बाजार से किताबें खरीदनी पड़ीं। ऐसे में अगर बाद में शासन किताबें बाँट भी देता है, तो भी पालकों की जेब से किया गया खर्च व्यर्थ हो जाएगा।

शासन-प्रशासन के दावों पर उठे सवाल

बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होने से शिक्षा की गुणवत्ता पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। शासन की लापरवाही से न केवल विद्यार्थी पीछे छूट रहे हैं, बल्कि प्रशासन के सुधार के दावे भी खोखले साबित हो रहे हैं।

जनता पूछ रही है – क्या शिक्षा में सुधार सिर्फ घोषणाओं और उत्सवों तक सीमित रह गया है?

वहीं राजिम विधानसभा के विधायक रोहित साहू से जब चर्चा की गई तो उन्होंने कहा कि जैसे ही मामला संज्ञान में आया।मैंने तत्काल डीईओ को निर्देशित किया है कि अभिलंब पुस्तक वितरण किया जाए।ताकि किसी प्रकार की समस्या उत्पन्न न हो।

बिंद्रानवागढ़ विधायक जनक ध्रुव ने इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि शिक्षा व्यवस्था बत्तर स्थिति में पहुँच चुकी है। बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ हो रहा है। यह मोदी की गारंटी और सांय सरकार की नाकामी का जीता-जागता उदाहरण है। जनता त्रस्त है और छात्रों का कीमती समय बर्बाद किया जा रहा है।









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