पटना : केंद्र सरकार ने मखाना बोर्ड के गठन की अधिसूचना जारी कर दी है। इससे बिहार के लगभग पांच लाख मखाना किसानों को लाभ मिलना है। बोर्ड के गठन से मखाना प्रोसेसिंग और व्यापार को बढ़ावा मिलेगा। देश में लगभग 85 प्रतिशत मखाने का उत्पादन बिहार करता है।
बिहार सरकार के प्रयासों से पिछले 12 वर्षों में मखाना उत्पादन के क्षेत्र मेंं विस्तार हुआ है और उत्पादकता में वृद्धि आई है। 2019-20 में मखाना विकास योजना प्रारंभ की गई थी। उसमें स्वर्ण वैदेही और सबौर मखाना-1 प्रभेद को बढ़ावा दिया गया।
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योजना के अंतर्गत बिहार के 10 जिलों में मखाना के उत्पादन का विस्तार हुआ। इसके साथ ही किसानों को अन्य वित्तीय सहायता भी दी जाती है।
जैसे कि मखाना संग्रहण के लिए भंडार गृह निर्माण पर अनुदान, बिहार एवं बिहार से बाहर व्यापक प्रचार-प्रसार के लिए मखाना महोत्सव का आयोजन आदि। अब मखाना बोर्ड के गठन से किसानों की आय में वृद्धि के साथ कारोबार और रोजगार के नए अवसर मिलेंगे।
तीन गुना बढ़ा उत्पादन का रकबा
वर्ष 2012 तक बिहार में मखाना की खेती लगभग 13,000 हेक्टेयर में होती थी। मुख्यमंत्री बागवानी मिशन योजना के अंतर्गत मखाना का क्षेत्र विस्तार कार्यक्रम प्रारंभ किया गया है। इससे रकबा बढ़कर 35,224 हेक्टेयर हो गया है।
दस जिलों में होता है मखाना
दरभंगा, मधुबनी, कटिहार, अररिया, पूर्णिया, किशनगंज, सुपौल, मधेपुरा, सहरसा, और खगड़िया में मुख्य रूप से मखाना का उत्पादन होता है।
राजस्व में हुई वृद्धि
बिहार में मछली पालन के साथ ही मखाना उत्पादन में भी तेजी से वृद्धि के कारण उत्पादकोंं की आय बढ़ी है। वर्ष 2005 के पूर्व जहां मत्स्य/ मखाना जलकरों से राजस्व प्राप्ति 3.83 करोड़ रुपये थी, वह 2023-24 में बढ़कर 17.52 करोड़ रुपये हो गई है। राजस्व प्राप्ति में 4.57 गुना की वृद्धि हो चुकी है।
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