नई दिल्ली: भारत त्योहारों का देश है और यहां हर एक त्योहार का अपना खास महत्व होता है। नवरात्र इन्हीं में से एक है, जो मां दुर्गा के नौ रूपों को समर्पित है। यह भक्ति, प्रार्थना और उत्सव मनाने का मौका है। नवरात्र हिंदू धर्म में काफी अहम माना जाता है। इस दौरान लोग नौ दिनों तक व्रत-उपवास रखते हैं और माता रानी की पूजा-अर्चना करते हैं।
नवरात्र का त्योहार मुख्य रूप से साल में चार बार मनाया जाता है। इनमें से 2 ही सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण होती हैं, जो चैत्र और शरद नवरात्रि हैं। बाकी की दो गुप्त नवरात्र होते हैं। ऐसे में अक्सर मन में यह सवाल उठता है कि आखिर इन दोनों नवरात्र में अंतर क्या होता है और कैसे यह एक-दूसरे से अलग होती है। आइए आज इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे इन दोनों नवरात्र में क्या है अंतर-
चैत्र नवरात्र
चैत्र नवरात्र को वसंत नवरात्र भी कहते हैं। हिंदू कैलेंडर के मुताबिक चैत्र माह में आने के कारण इसे चैत्र नवरात्र कहते हैं। चूंकि चैत्र माह को हिंदू कैलेंडर का पहला महीना माना जाता है, इसलिए भारत के कई हिस्सों में इस नवरात्रि को हिंदू नव वर्ष की शुरुआत भी माना जाता है। नौ दिन तक चलने वाले इस त्योहार का समापन राम नवमी के साथ होता है।
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चैत्र नवरात्र उत्तर भारत में व्यापक रूप से लोकप्रिय है और महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश में भी इसका खास महत्व है। देश के अलग-अलग हिस्सों में इसे गुड़ी पड़वा और उगादी जैसे नववर्ष उत्सवों के रूप में मनाया है।
शारदीय नवरात्र
शारदीय नवरात्र को कई लोग दुर्गापूजा रूप में भी जानते हैं। शरद ऋतु में आने की वजह से इसे शरद नवरात्र के नाम से जाना जाता है। इस दौरान आने वाली नवरात्र का समापन दशहरा या विजयादशमी के साथ होता है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। चैत्र नवरात्र की ही तरह इस दौरान भी मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की नौ दिन पूजा-अर्चना की जाती है।
हालांकि, इस नवरात्र को ज्यादा हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस दौरान बड़े-बड़े पंडाल में मां दुर्गा भी स्थापना की जाती है और भव्य जुलूस निकाले जाते हैं। गुजरात में इस दौरान डांडिया रास और गरबा का आयोजन किया जाता है, जबकि पश्चिम बंगाल में इस दौरान दुर्गा पूजा समारोहों आयोजित होते हैं।
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