स्वस्थ नारी, सशक्त परिवार अभियान: अबूझमाड़ के कोंडे गांव में स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच

स्वस्थ नारी, सशक्त परिवार अभियान: अबूझमाड़ के कोंडे गांव में स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच

बीजापुर : छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा संचालित “स्वस्थ नारी, सशक्त परिवार अभियान” ने नक्सल प्रभावित और भौगोलिक रूप से दुर्गम अबूझमाड़ क्षेत्र के कोंडे ग्राम में स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच को सुनिश्चित कर एक उपलब्धि हासिल की है। यह अभियान न केवल स्वास्थ्य सेवाओं को सुदूर क्षेत्रों तक ले जाने का एक अभूतपूर्व प्रयास है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि कठिन परिस्थितियों में भी समर्पण और दृढ़ संकल्प के साथ सामाजिक बदलाव संभव है। इस पहल ने “स्वस्थ नारी ही सशक्त परिवार की आधारशिला है” के सिद्धांत को साकार करते हुए, विशेष रूप से महिलाओं और गर्भवती माताओं के स्वास्थ्य को प्राथमिकता दी है।

बीजापुर जिले के अबूझमाड़ क्षेत्र में कोंडे ग्राम तक स्वास्थ्य सेवाएँ पहुँचाना अपने आप में एक चुनौतीपूर्ण कार्य था। इस क्षेत्र की भौगोलिक स्थिति, नक्सल प्रभाव और उफनती इंद्रावती नदी जैसी प्राकृतिक बाधाएँ स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच को और जटिल बनाती हैं। फिर भी, स्वास्थ्य दल ने इन सभी बाधाओं को पार करते हुए नाव चलाकर इंद्रावती नदी को पार किया और कोंडे ग्राम में एक स्वास्थ्य शिविर का सफल आयोजन किया। यह प्रयास स्वास्थ्य कर्मियों की निष्ठा का प्रतीक है, जिन्होंने जोखिम के बावजूद ग्रामीणों तक चिकित्सा सुविधाएँ पहुंचाईं।

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स्वास्थ्य शिविर में कुल 132 मरीजों की जांच की गई, जिसमें विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं से पीड़ित मरीज शामिल थे। इनमें 14 मलेरिया, 26 सर्दी-खांसी और 25 त्वचा संबंधी रोगों के मामले सामने आए। इन मरीजों को तत्काल चिकित्सा सहायता और दवाइयाँ प्रदान की गईं। विशेष रूप से, शिविर में 10 गर्भवती माताओं पर विशेष ध्यान दिया गया। इन माताओं की संपूर्ण स्वास्थ्य जांच की गई, जिसमें प्रसव पूर्व देखभाल (एंटीनेटल केयर), आवश्यक टीकाकरण, एनीमिया से बचाव और पोषण संबंधी परामर्श शामिल थे। उन्हें सुरक्षित मातृत्व और स्वस्थ जीवनशैली के लिए जागरूक किया गया, ताकि माँ और शिशु दोनों का स्वास्थ्य सुनिश्चित हो सके।

इस अभियान की सफलता में स्वास्थ्य कर्मियों की भूमिका अहम रही। ग्रामीण चिकित्सा सहायक शिवेंद्र रात्रे, BETO के. पी. विर्वंश, स्वास्थ्य कार्यकर्ता राजू पुगंटी, अरुण पागे, अतुल कुशवाहा और वार्ड बाय सुखराम गोटा ने न केवल शिविर को सफल बनाया, बल्कि अपनी प्रतिबद्धता से यह साबित किया कि कठिन परिस्थितियों में भी मानव सेवा का लक्ष्य प्राप्त किया जा सकता है। नाव चलाकर नदी पार करने से लेकर ग्रामीणों के बीच स्वास्थ्य जागरूकता फैलाने तक, इन कर्मियों ने हर कदम पर अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभाई।

“स्वस्थ नारी, सशक्त परिवार अभियान” का यह प्रयास केवल एक स्वास्थ्य शिविर तक सीमित नहीं है, बल्कि यह छत्तीसगढ़ सरकार की उस व्यापक दृष्टि का हिस्सा है, जो समाज के हर वर्ग, विशेष रूप से महिलाओं और बच्चों, के स्वास्थ्य को प्राथमिकता देती है। कोंडे जैसे सुदूर गाँव में स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता न केवल वहाँ के निवासियों के लिए राहत लेकर आई, बल्कि यह भी दर्शाती है कि सरकार का लक्ष्य हर नागरिक तक स्वास्थ्य सुविधाएँ पहुँचाना है, चाहे वह कितना भी दुर्गम क्षेत्र क्यों न हो। गर्भवती माताओं को दी गई जानकारी और देखभाल न केवल उनकी सेहत को बेहतर बनाएगी, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी स्वस्थ भविष्य की नींव रखेगी।

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कोंडे ग्राम में आयोजित इस स्वास्थ्य शिविर ने न केवल स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच को सुदूर क्षेत्रों तक विस्तारित किया, बल्कि यह भी साबित किया कि सही इच्छाशक्ति और समर्पण के साथ कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं है। यह अभियान “स्वस्थ नारी, सशक्त परिवार” के मंत्र को साकार करते हुए, महिलाओं के स्वास्थ्य और सशक्तिकरण को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह प्रयास न केवल अबूझमाड़ के लोगों के लिए, बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ के लिए एक प्रेरणा है कि स्वास्थ्य सेवाएँ हर उस व्यक्ति तक पहुँच सकती हैं, जो उनकी जरूरत में है।







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