मानपुर: गौ सेवा और गौ रक्षा के नाम पर राजनीति गरम है, बड़े-बड़े मंचों से गौ माता की सेवा के संकल्प दोहराए जा रहे हैं, लेकिन जमीनी हकीकत इससे इतर और बेहद शर्मसार करने वाली है। मोहला मानपुर ब्लॉक में एक घायल गाय और उसके बच्चे की मौत ने सिस्टम की संवेदनहीनता की पोल खोल कर रख दी है। राष्ट्रीय राजमार्ग 930 के किनारेए पशु चिकित्सा अस्पताल से महज 100 मीटर की दूरी पर एक सप्ताह तक एक गाय और उसका बच्चा तड़पते रहे, लेकिन पशुधन विभाग और जिम्मेदार अफसर-नेता तक नहीं जागे। स्थानीय दुकानदारों ने अपने स्तर पर गाय और उसके बछड़े की सेवा की। भोजन, पानी से लेकर मरहम-पट्टी और दवाइयों तक की व्यवस्था उन्होंने की। लेकिन सीमित संसाधनों और जानकारी के अभाव में वे उन्हें बचा नहीं सके। पहले बछड़े ने दम तोड़ा और कुछ ही दिन बाद गाय भी जीवन की जंग हार गई।
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गौ माता की सेवा के नाम पर योजनाएं और बजट तो खूब हैं, लेकिन मानपुर के इस मामले ने दिखा दिया कि न तो वेटनरी अस्पताल की व्यवस्था दुरुस्त है और न ही ग्राम पंचायत व प्रशासन की संवेदना। वर्षों से बिना नियमित डॉक्टर के चल रहे पशु चिकित्सालय से न तो कोई डॉक्टर आया और न ही कोई दवा उपलब्ध कराई गई।गौ माता को तड़पते हुए मरना पड़ा, वो भी ऐसी सरकार के दौर में जो हर मंच से गौ सेवा की बात करती है। अब सवाल यह है कि क्या इस लापरवाही के लिए किसी जिम्मेदार को जवाबदेह ठहराया जाएगा? या फिर हर बार की तरह यह मामला भी फाइलों और बयानबाजी की भेंट चढ़ जाएगा स्थानीय जनप्रतिनिधियों, पंचायत प्रतिनिधियों और सफेदपोश नेताओं ने भी इस मामले से दूरी बनाए रखी। क्या उनके लिए गौ माता की चिंता केवल चुनावी मुद्दा भर रह गई है?

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