रायपुर : भारतमाला भूमि अधिग्रहण घोटाले में मुख्य आरोपियों में से एक राजस्व निरीक्षक अभनपुर रोशन लाल वर्मा माह मार्च 2025 से वर्तमान सितंबर 2025 तक Eow में मामला पी.एम.एल.ए .1988 की धारा 7,420 ,120 बी व ED के मुख्य आरोपी होने से राजधानी विहार रायपुर स्थित अपने निवास से 25 अप्रैल को छापेमारी के पूर्व से फरार चल रहा है। वर्तमान तिथि तक राजस्व विभाग द्वारा न उसे निलंबित किया गया और ना ही कोई कार्यवाही की गई है।बता दें कि रौशन ने कांग्रेस शासन काल में ही अपना तबादला अभनपुर कराया था। तब तक वह रायपुर कलेक्टोरेट में पदस्थ रहा। उसकी पत्नी नीता वर्मा भी महिला बाल विकास परियोजना में कार्यरत है नियमित कर्मी है ।
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साढ़ू और साली पुलिस कर्मी है। छापे की खबर के बाद इसके कलेक्टोरेट के साथी कर्मियों ने बताया कि अभनपुर जाने के बाद इसकी संपत्ति में जबरदस्त उछाल आया। इन सभी ने मिलकर काफी जमीन पैसे बनाए हैं। रौशन का रहन सहन विलासिता भरा है। दोनों पति पत्नी अलग कार मेंटेन करते हैं। इसने राजधानी विहार का निवास के-15, कुछ वर्ष पहले ही 42 लाख में खरीदा था पहले वह इसी मकान में किराए से रहता था और अभनपुर पोस्टिंग के बाद हाल में उसी कॉलोनी में 45 लाख में दूसरा मकान लिया है। यह मकान नगद भुगतान कर अपनी अध्ययनरत बेटी के नाम लिया है। यह मकान किसी नागपुर निवासी व्यक्ति से लिया था। और इसी मरान को महिला बाल विकास विभाग की छोटे बच्चों के लिए क्रैश योजना (पालना घर )के तहत किराए पर दिया है । यह कॉलोनी के भीतर होने से बाहरी लोगों बच्चों को प्रवेश नहीं दिया जाता। यानी बिना क्रैश संचालित किए हर माह हजारों का किराया ले रही हैं। इसके अलावा रौशन ने 8-9 एकड़ का एक फार्म हाउस और कई अन्य अचल संपत्ति भी लिया है। ईओडब्लू सूत्रों ने बताया कि रौशन के घर से बड़ी संख्या में ऐसे ही दस्तावेज बरामद किए गए हैं। इस कार्रवाई के बाद नीता वर्मा पर भी विभागीय जांच की तलवार लटक गई है।
वहीं उसी पटवारी हल्के के प्रभारी रहे पटवारी लेखराम साहू के सेजबहार में ही 04 मकानों का पता चला है। जाँच टीम को लेखराम घर पर नहीं मिला। बताया गया है कि वह पिछले कई दिनों से फरार है।
मुआवजे के नाम पर करोड़ों की हेराफेरी
बता दें कि EOW ने FIR नंबर 30/2025 धारा 7C भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम समेत 420, 467,468,471 और 120B में FIRदर्ज कर शासन से अनुमति के बाद छापेमारी की है। इससे पहले, शासन एक अपर कलेक्टर, एक डिप्टी कलेक्ट और एक तहसीलदार को इसी मामले में सस्पेंड कर चुका है। चार पटवारियों का सस्पेंशन भी हुआ था, लेकिन तकनीकी ग्राउंड पर वे निलंबन रद्द करवाकर नौकरी पर अरसा पहले ही लौट चुके हैं।
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इन सभी के खिलाफ जमीनों के फर्जी तरीके से कई लोगों के नाम दर्ज कर शासन को करोड़ों रुपए का नुकसान पहुंचाने का आरोप है। दस्तावेजों के आधार पर इनमें से कई मामले प्रमाणित भी हो चुके हैं। रायपुर जिला प्रशासन ने शिकायतों के बाद इस मामले की अफसरों की एक हाई-लेवल कमेटी से जांच करवाई थी। इस कमेटी ने कई शिकायतें सही पाए जाने के बाद जांच रिपोर्ट में अफसरों को दोषी ठहराया था और एक सिंडीकेट की ओर इशारा भी किया था।

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