फिर से पर्णकुटी में विराजे श्रीराम:डंकनी नदी की भीषण बाढ़ के बीच अडिग रह गई थी श्रीराम की आदमकद प्रतिमा

फिर से पर्णकुटी में विराजे श्रीराम:डंकनी नदी की भीषण बाढ़ के बीच अडिग रह गई थी श्रीराम की आदमकद प्रतिमा

दंतेवाड़ा : पिछले दिनों दंतेवाड़ा में डंकनी नदी में आयी भीषण बाढ़ के बावजूद अपनी जगह पर अडिग रहे भगवान श्रीराम की प्रतिमा को फिर से नई पर्णकुटी में स्थापित कर दिया गया है। इस बाढ़ में पर्णकुटी तो बह गई थी, लेकिन आदमकद प्रतिमा चमत्कारिक ढंग से अपनी जगह से टस से मस नहीं हुई थी।  इसी जगह पर बस्तर धाकड़ राजपूत समाज के उत्साही सदस्यों ने शारदीय नवरात्रि से ठीक पहले श्रमदान और सामूहिक प्रयास से फिर नई पर्णकुटी का निर्माण किया और भगवान श्रीराम की प्रतिमा को विधि-विधान से पुनर्स्थापित किया। इस बार वैकल्पिक तौर पर पर्णकुटी में  नारियल के पत्तों का इस्तेमाल किया गया है। साथ ही शारदीय नवरात्रि के उपलक्ष्य में यहां ज्योति कलश की स्थापना भी की है। रोजाना यहां आरती-पूजन किया जा रहा है।

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जन सहयोग से बनाई थी पर्णकुटी

इस जगह पर बस्तर धाकड़ राजपूत समाज ने इसी साल 22 जनवरी को अयोध्या में भगवान श्रीराम मंदिर निर्माण का वार्षिकोत्सव मनाया था। साथ ही विभिन्न गांवों से मंगाए गए घास-फूस से पर्णकुटी का निर्माण किया था। नीलम ठाकुर ने बताया कि भगवान श्रीराम ने अपने वनवास काल का ज्यादातर समय दंडकारण्य के जंगल में घास-फूस की कुटिया में बिताया था। यह क्षेत्र भी उसी दंडकारण्य में आता है। इसीलिए समाज ने इसे पर्णकुटी के प्रारंभिक स्वरूप में तैयार किया है।









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