ये हैं मां दुर्गा के प्रमुख शक्तिपीठ, जहां दर्शन करने से सभी बाधाओं से मिलती है मुक्ति

ये हैं मां दुर्गा के प्रमुख शक्तिपीठ, जहां दर्शन करने से सभी बाधाओं से मिलती है मुक्ति

शारदीय नवरात्र का पर्व देवी दुर्गा की शक्ति और शक्ति स्वरूपों के सम्मान में मनाया जाता है। यह नौ दिन का पावन उत्सव भक्तों के लिए साहस, ऊर्जा और आध्यात्मिक शक्ति के संचार का अवसर है।

इसी दौरान मां दुर्गा के विभिन्न रूपों की उपासना के साथ-साथ शक्तिपीठों का महत्व भी बढ़ जाता है। शक्तिपीठों को देवी के शरीर और आभूषणों के पवित्र अवशेषों से जुड़े स्थल माना जाता है, जहां मां की विशेष शक्ति व पवित्रता विद्यमान होती है। आइए जानते हैं कुछ शक्तिपीठों के बारे में।

कुछ प्रमुख शक्तिपीठ और उनकी मान्यता
अंबाजी शक्तिपीठ, गुजरात 
अंबाजी शक्तिपीठ, गुजरात के बनासकांठा जिले में स्थित है, जो 51 शक्तिपीठों में से एक प्रमुख स्थल माना जाता है। यहां देवी सती का हृदय गिरा था, जिससे यह स्थान अत्यंत पवित्र माना जाता है। मंदिर में कोई मूर्ति नहीं है यहां 'श्री विसा यंत्र' की पूजा की जाती है, जो एक विशेष यंत्र है। नवरात्रि के दौरान यहां विशेष पूजा, गरबा और भजन-कीर्तन आयोजित होते हैं।

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बहुला देवी शक्तिपीठ, बंगाल 

बहुला देवी शक्तिपीठ, पश्चिम बंगाल के वर्धमान जिले के केतुग्राम में स्थित है। यहां देवी सती का बायां हाथ गिरा था, जिससे यह स्थल शक्तिपीठ के रूप में प्रतिष्ठित हुआ। यह स्थान विशेष रूप से नवरात्रि के दौरान श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र बनता है। यहां देवी बहुला की पूजा से मानसिक शांति, संकटों से मुक्ति और सकारात्मक ऊर्जा की प्राप्ति होती है।

नैना देवी शक्तिपीठ, हिमाचल प्रदेश 

नैना देवी शक्तिपीठ हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले में स्थित है, जो देवी सती के 51 शक्तिपीठों में से एक है। यहां पर माता सती का बायां नेत्र (आंखें) गिरी थी, जिससे इस स्थान का नाम 'नैना देवी' पड़ा। यह शक्तिपीठ नवरात्रि के दौरान विशेष रूप से श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र बनता है। यहां की पूजा से नेत्र संबंधी रोगों में लाभ और मानसिक शांति की प्राप्ति होती है।

हिंगलाज शक्तिपीठ, बलूचिस्तान, पाकिस्तान 

यह शक्तिपीठ पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में स्थित है, जहां देवी सती का सिर गिरा था। यह स्थान दूरदराज में होने के बावजूद श्रद्धालुओं के लिए अत्यंत पवित्र और शक्ति संपन्न माना जाता है। यहां हर साल वसंत ऋतु में 'हिंगलाज यात्रा' आयोजित होती है, जिसमें हजारों श्रद्धालु भाग लेते हैं।

मणिकर्णिका शक्तिपीठ,वाराणसी, उत्तर प्रदेश 

यह शक्तिपीठ वाराणसी के मणिकर्णिका घाट पर स्थित है, जहां देवी सती के दाहिना कान और उसका कुंडल गिरा था। यह स्थान मृत्युभय, बाधाओं और नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने वाली माता का स्थल माना जाता है। यहां की पूजा से जीवन में सकारात्मकता और शांति का अनुभव होता है।

हरसिद्धि देवी शक्तिपीठ, उज्जैन, मध्य प्रदेश 

यह शक्तिपीठ उज्जैन में स्थित है, जहां देवी सती की कोहनी गिरी थी। यह देवी शक्ति और स्वास्थ्य की रक्षा करने वाली मानी जाती है। मंदिर में राजा विक्रमादित्य द्वारा अर्पित 11 सिरों के प्रतीकस्वरूप 11 सिंदूर लगे मुण्ड स्थापित हैं। यह स्थान तंत्र साधना के लिए भी महत्वपूर्ण माना जाता है।

कालिका देवी शक्तिपीठ, गुजरात

कालिका देवी शक्तिपीठ, गुजरात के पावागढ़ में स्थित है, जहां माता सती का दाहिना पैर का अंगूठा गिरा था। यह शक्तिपीठ शक्ति, साहस और सफलता की देवी के रूप में पूजा जाता है। यह स्थल विशेष रूप से नवरात्रि के दौरान भक्तों से भर जाता है, जहां वे देवी की पूजा-अर्चना कर मानसिक और आध्यात्मिक बल की प्राप्ति की कामना करते हैं।

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कांची देवगर्भ शक्तिपीठ, तमिलनाडु 

कांची देवगर्भ शक्तिपीठ तमिलनाडु के कांचीवेरम में स्थित है, जो ज्ञान, आध्यात्मिक विकास और सुख-समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। यहां देवी सती का कंकाल गिरा था, जिसके कारण इसे शक्तिपीठ का दर्जा प्राप्त है। यहां की शक्ति 'देवगर्भा' और भैरव 'रुरु' हैं।

विमला देवी शक्तिपीठ, पुरी, ओडिशा

विमला देवी शक्तिपीठ उड़ीसा के पुरी में स्थित है यहां देवी सती की नाभि गिरी थी। जिससे यह शक्तिपीठ सभी में अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। विमला देवी को जगन्नाथ मंदिर की रक्षक देवी भी माना जाता है। यहां पहले देवी की पूजा होती है, फिर प्रसाद भगवान जगन्नाथ को अर्पित किया जाता है। यह स्थान भक्तों के लिए अत्यंत पवित्र और आस्था का केंद्र है।









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