छत्तीसगढ़ के बस्तर की आराध्य देवी मां दंतेश्वरी माई बस्तरवासियों की आत्मा में बसती हैं. मां की कृपा का एक अद्भुत प्रसंग नवरात्रि में सामने आया है. करपावंड गांव की नीलावती दोनों हाथों में दीप प्रज्वलित कर घुटनों के बल दंतेश्वरी मां के दर्शन और परिवार की खुशहाली की कामना मन में लिए बढ़ रही है.
क्योंकि एक समय नीलावती के नवजात मृत शिशु में दंतेश्वरी मां के स्मरण से नवजीवन मिलने की कहानी जुड़ी है. इस चमत्कार और आस्था विश्वास की चर्चा पूरे बस्तर में हुई थी.
दरअसल करपावंड गांव की नीलावती ने जब पुत्र को जन्म दिया, तो परिवार की खुशी मातम में बदल गई. जन्म के तुरंत बाद नवजात को डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया.जगदलपुर मेडिकल कॉलेज में भी डॉक्टरों ने ईलाज के दौरान बच्चे की धड़कन बन्द पाई.बच्चे का दिल धड़कना बंद हो चुका था और डॉक्टरों ने सारी उम्मीद जब छोड़ दी थी.
ये भी पढ़े : मुखिया के मुखारी - वक्त था निखरने का, ईमानदारी बिखर गई
तब नीलावती ने हार नहीं मानी. उसने मां दंतेश्वरी की तस्वीर के सामने बैठकर लगातार प्रार्थना और अर्चना शुरू की. उसने प्रण लिया कि यदि उसके शिशु को जीवन वापस मिला तो वह दीप लेकर घुटनों के बल चलकर दंतेश्वरी मंदिर पहुंचेगी.
महिला ने दावा करते हुए कहा कि घंटों की करुण पुकार और विश्वास के बाद चमत्कार हुआ. मृत घोषित किया गया नवजात अचानक सांस लेने लगा और धीरे-धीरे स्वस्थ होने लगा.आज छह के महीने बाद शारदीय नवरात्र के अवसर पर नीलावती अपने स्वस्थ पुत्र के साथ दंतेवाड़ा पहुंची. मां दंतेश्वरी के दरबार में घुटनों के बल यात्रा करते हुए उसने दीप अर्पित कर अपना प्रण पूरा किया.

Comments