आज यानी 02 अक्टूबर को आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि है। हर साल इस तिथि पर दशहरा का पर्व बेहद उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस पर्व को बुराई पर अच्छाई की विजय के रूप में मनाया जाता है और दशहरा के दिन रावण दहन किया जाता है। दशहरा को विजय दशमी के नाम से जाना जाता है। ऐसे में आइए जानते हैं आज का पंचांग के बारे में।
ये भी पढ़े : मुखिया के मुखारी - वक्त था निखरने का, ईमानदारी बिखर गई
तिथि: शुक्ल दशमी
मास पूर्णिमांत: अश्विन
दिन: गुरुवार
संवत्: 2082
तिथि: दशमी सायं 07 बजकर 10 मिनट तक
योग: सुकरण रात्रि 11 बजकर 29 मिनट तक
करण: तैतिल प्रातः 07 बजकर 11 मिनट तक
करण: गरज सायं 07 बजकर 10 मिनट तक
सूर्योदय और सूर्यास्त का समय
सूर्योदय: सुबह 06 बजकर 15 मिनट पर
सूर्यास्त: शाम 06 बजकर 06 मिनट पर
चंद्रमा का उदय: दोपहर 03 बजकर 09 मिनट पर
चन्द्रास्त: 03 अक्टूबर को प्रातः 01 बजकर 56 मिनट पर
सूर्य राशि: कन्या
चंद्र राशि: धनु
पक्ष: शुक्ल
शुभ समय अवधि
अभिजीत मुहूर्त: प्रातः 11 बजकर 46 मिनट से प्रातः 12 बजकर 34 बजे तक
अमृत काल: 03 अक्टूबर को रात्रि 11 बजकर 01 मिनट से रात्रि 12 बजकर 38 मिनट तक
अशुभ समय अवधि
राहुकाल: दोपहर 01 बजकर 39 मिनटसे दोपहर 03 बजकर 08 मिनट तक
गुलिकाल: प्रातः 09 बजकर 12 मिनट से प्रातः 10 बजकर 41 मिनट तक
यमगण्ड: प्रातः 06 बजकर 15 मिनटसे प्रातः 07 बजकर 43 मिनट तक
आज का नक्षत्र
आज चंद्रदेव उत्तराषाढ़ नक्षत्र में रहेंगे…
उत्तराषाढ़ नक्षत्र- प्रातः 09 बजकर 13 मिनट तक
रावण दहन मुहूर्त
रावण दहन प्रदोष काल में किया जाता है। इस दिन सूर्यास्त शाम 06 बजकर 06 मिनट पर होगा। ऐसे में प्रदोष काल में रावण दहन किया जाएगा।
सामान्य विशेषताएं: परिश्रमी, धैर्यवान, मजबूत, गठीला शरीर, लंबी नाक, तीखे नयन-नक्श, दयालु, अच्छे भोजन और संगति के शौकीन, ईमानदार, विश्वसनीय, बुद्धिमान और दूरदर्शी
नक्षत्र स्वामी: सूर्य देव
राशि स्वामी: बृहस्पति देव, शनि देव
देवता: विश्वदेव (अप्रतिद्वंद्वी विजय के देवता)
प्रतीक: हाथी का दांत या छोटा बिस्तर
विजय दशमी का धार्मिक महत्व
विजय दशमी जिसे दशहरा भी कहा जाता है, बुराई पर अच्छाई की विजय का पर्व है। यह दिन हमें भगवान राम की रावण पर जीत और देवी दुर्गा की महिषासुर पर विजय की याद दिलाता है। नवरात्र के नौ दिनों की साधना और शक्ति-पूजन के बाद दशमी तिथि पर यह पर्व हमें सिखाता है कि सत्य, धर्म और साहस हमेशा अधर्म, अन्याय और अहंकार पर विजय प्राप्त करते हैं।'
इस दिन रावण-दहन का आयोजन किया जाता है, जो अहंकार और बुराई को जलाकर जीवन में सद्गुणों को अपनाने का प्रतीक है। विजय दशमी हमें प्रेरित करती है कि हम अपने भीतर की नकारात्मकताओं को त्यागकर सच्चाई और सदाचार के मार्ग पर चलें।
Comments