रायपुर : छत्तीसगढ़ में एक मंत्री, 7 आईएएस और राज्य प्रशासनिक सेवा के 6 अफसरों समेत 13 अफसरों ने प्रदेश का सबसे बड़े एनजीओ घोटाला कर दिया। 13 साल तक दिव्यांगों के नाम पर चले इस करोड़ों के घोटाले की सुगबुगाहट साल 2016 में सुनाई दी। जब एक संविदा कर्मचारी ने समाज कल्याण विभाग में खुद को रेगुलर कराने के लिए आवेदन दिया तो पता चला वह तो पहले से ही सहायक ग्रेड-2 के पद पर पदस्थ है। इतना ही नहीं उसके नाम से दूसरी जगह से 2012 से वेतन निकल रहा है। यह उसके निए शॉकिंग था।
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इसके बाद परत-दर-परत चौंकाने वाले खुलासे होते चले गए। घोटाले में अब बिलासपुर हाईकोर्ट ने दोबारा से सीबीआई जांच के आदेश दिए हैं। बताते हैं मामला इसलिए लंबा खिंच गया, क्योंकि शुरुआती दो साल (2016-18) में बीजेपी सरकार ने ज्यादा कुछ किया नहीं, इसके बाद कांग्रेस की भूपेश बघेल सरकार में मामला पूरी तरह ठंडे बस्ते में चला गया और प्रदेश में सीबीआई की एंटी पर ही बैन लगा दिया। अब फिर मामला सुर्खियों में है और सीबीआई जांच शुरू हो गई है।
यहां बता दें स्टेट रिसोर्स सेंटर (SRC) और फिजिकल रेफरल रिहैबिलिटेशन सेंटर (PRRC) के नाम से एनजीओ शुरू हुआ था।
SRC और PRRC NGO घोटाले की टाइमलाइन
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