सूरजपुर : छत्तीसगढ़ के सूरजपुर जिले के प्रेमनगर विकासखंड में सैकड़ों आदिवासी किसान धान की फसल बेचने से वंचित होने के कगार पर हैं। वन अधिकार अधिनियम (FRA) के तहत वितरित एक पेज के पट्टे (वन अधिकार पत्र) के कारण किसान एग्री स्टैक पोर्टल पर पंजीकरण नहीं कर पा रहे हैं, जिससे वे न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर धान बेचने और अन्य सरकारी योजनाओं का लाभ लेने से महरूम हो रहे हैं। जिले के रामानुजनगर एसडीएम अजय मोडियम से संपर्क के प्रयासों के बावजूद कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो रही, जिससे किसानों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है।
प्रेमनगर विकासखंड आदिवासी बहुल क्षेत्र है, जहां संरक्षित जनजाति पंडो समुदाय के ग्रामीण मुख्य रूप से निवास करते हैं। शासन द्वारा वितरित वन अधिकार पत्रों पर आधारित भूमि पर ये किसान धान की खेती करते हैं और पारंपरिक रूप से सहकारी समितियों के माध्यम से अपनी उपज बेचते आ रहे हैं। लेकिन इस वर्ष धान खरीदी सीजन माह नवंबर 2024 से जनवरी 2025 तक से पहले एग्री पोर्टल पर पंजीकरण की समयसीमा 31 अक्टूबर 2024 तक समाप्त होने के कगार पर पहुंच गई है। किसानों ने रामानुजनगर एसडीएम को कई बार अवगत कराया, लेकिन केवल अस्पष्ट जवाब मिले, कोई समाधान नहीं निकला।
एक प्रभावित किसान ने बताया, "हमारी जमीन वन विभाग से मिली है, लेकिन एग्री पोर्टल सिस्टम इसे मान्यता नहीं दे रहा। बिना पंजीकरण के धान बेचना नामुमकिन है। सैकड़ों परिवारों का भरण-पोषण इसी फसल पर निर्भर है।" जिले के अन्य हिस्सों में भी एग्री स्टैक पोर्टल पर खसरा मिसमैच जैसी तकनीकी समस्याओं के कारण 3.5 लाख से अधिक किसानों का पंजीकरण लंबित है, जो राज्यव्यापी समस्या का संकेत देता है।
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रिपोर्टर द्वारा रामानुजनगर एसडीएम अजय मोडियम से फोन और मैसेज के जरिए संपर्क करने का प्रयास किया गया, लेकिन 24 घंटे बाद भी कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली। जिला प्रशासन के वेबसाइट पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार, एसडीएम कार्यालय किसानों की शिकायतों का निपटारा करने का जिम्मेदार है, लेकिन मौन साधे रहना प्रशासनिक लापरवाही का उदाहरण है।
किसान संगठनों ने चेतावनी दी है कि यदि तत्काल हस्तक्षेप न हुआ तो वे जिला कलेक्टर कार्यालय के समक्ष धरना-प्रदर्शन को बाध्य होंगे। विशेषज्ञों का कहना है कि वन अधिकार पट्टों को एग्री स्टैक डेटाबेस से लिंक करने के लिए राजस्व, वन और कृषि विभागों के समन्वय की आवश्यकता है। राज्य सरकार ने इस वर्ष 16 मिलियन टन धान खरीदी का लक्ष्य रखा है, लेकिन ऐसी तकनीकी बाधाएं लाखों किसानों को लाभ से वंचित कर सकती हैं।
कलेक्टर महोदय को भेजे गए शिकायत पत्र में मांग की गई है कि मामले का त्वरित संज्ञान लें और पोर्टल पर पंजीकरण की प्रक्रिया सुगम बनाएं, ताकि किसान MSP पर धान बेच सकें और पीएम किसान, फसल बीमा जैसी योजनाओं का लाभ उठा सकें। अब देखना ये है कि किसान को समय पर न्याय पा पाएगा, अपने खून पसीने की कमाई समिति में विक्रय कर पाएंगे।
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