जीएसटी चोरी कर राज्य सरकार को लगा रहे करोड़ो का चूना,पार्किंग माफियाओं से जनता परेशान

जीएसटी चोरी कर राज्य सरकार को लगा रहे करोड़ो का चूना,पार्किंग माफियाओं से जनता परेशान

रायपुर : सरकार जीएसटी चोरी करने पर लगातार सख्त कदम उठा रही है लेकिन जीएसटी चोरों ने चोरी के नए नए टेक्नीक ईजाद कर लिए हैं। हालांकि शासन इसके लिए जरूरत पडऩे पर नियमों में भी बदलाव किया जा रहा है, जिससे सरकार अपने राजस्व को बढ़ा सके। लेकिन जीएसटी चोर सरकार की आंखों में धूल झोंककर अपने कारनामे को अंजाम दे रहे हैं। राजधानी के विवेकानंद एयरपोर्ट, एम्स, भीमराव अंबेडकर अस्पताल, जिला अस्पताल, बस स्टैंड और रेलवे स्टेशन में ठेकेदारों का खुला खेल फर्रूखाबादी वाला खेल चल रहा है। हर दिन इस सार्वजनिक स्थलों में सैकड़ों की संख्या में साइिकल, बाइक, कार पार्किंग की जाती है जिसमें साइकिल के 10 रू. बाइक 20 रुपए और कार पार्किंग के लिए 80 रुपए लिया जाता है। जिसकी रसीद तो दिया जाता है लेकिन न तो उसमें पंजीयन क्रमांक होता है और न ही जीएसटी नंबर लिखा होता है। सादे कागज पर स्टैंड का संचालक सील लगाकर पर्ची दिया जा रहा है जिसके कारण साइिकल, बाइक, कार चोरी होने पर क्लेम करने में परेशानी झेलनी पड़ रही है। वहीं दूसरी ओर ठेकेदार हर महीने करोड़ों की जीएसटी चोरी कर राज्य सरकार को चूना लगे रहे है।

सरकार की ओर से लगातार जीएसटी चोरी करने को लेकर नियम सख्त किए जा रहे हैं। इसी कड़ी में सरकार ने मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के प्रावधानों में बदलाव कर ईडी को जीएसटीएन के साथ जानकारी शेयर करनी को मंजूरी दी है। इससे ऐसे लोगों पर नकेल कसेगी जो कि फर्जी बिल आदि के जरिए टैक्स चोरी करते हैं। नए नियम के बाद ईडी जीएसटीएन से जानकारी शेयर कर पाएगा।

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सरकार की ओर से मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के प्रावधानों में बदलाव किया गया है। इसके बाद प्रवर्तन निदेशालय यानी श्वष्ठ जीएसटी नेटवर्क से साथ जानकारी साझा कर सकेगा। इससे मनी लॉन्ड्रिंग के जरिए जीएसटी चोरी करने वालों से टैक्स की रिकवरी करने में मदद मिलेगी।

जीएसटी नेटवर्क इनडायरेक्ट टैक्स रिजीम की टेक्नोलॉजी को हैंडल करता है और यह जीएसटी से जुड़ी सभी जानकारियां जैसे रिटर्न, टैक्स फाइलिंग और अन्य अनुपालन सहित सभी की रिपोजिटरी के रूप में कार्य करता है।

मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट में क्या हुआ बदलाव?

मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट या पीएमएलए एक्ट 2002 में किए गए बदलाव के तहत अब जीएसटीएन को उन संस्थाओं की लिस्ट में जोड़ा गया है, जिनके साथ ईडी अपनी जानकारी शेयर कर सकता है।

क्या होगा फायदा?

जीएसटीएन को पीएमएलए एक्ट के तहत लाने से बड़ी टैक्स चोरी करने वालों पर नकेल कस सकेगी और अधिक लोग टैक्स चुकाएंगे। साथ ही जीएसटीएन ऐसे लोगों की टैक्स चोरी की सूचना आसानी से ईडी को दे पाएगा और टैक्स रिकवरी में भी तेजी आएगी।पिछले साल 15 संस्थाओं के साथ जानकारी शेयर करने को दी थी मंजूरी

पिछले साल नवंबर में सरकार की ओर से ईडी को आर्थिक अपराधियों की जानकारी 15 अन्य सरकारी संस्थाओं के साथ शेयर करने की मंजूरी दी गई थी। इसमें एसएफआईओ , सीसीआई और एनआईए का भी नाम शामिल था। नोटिफिकेशन जारी करने के बाद अब ईडी कुल 26 सरकारी संस्थाओं के साथ जानकारियों को शेयर करेगी, जिनकी संख्या पहले 10 थी। इसमें सीबीआई, आरबीआई, आईआरडीएआई और एफआईयू का नाम है।









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