सरगुजा : जंप लखनपुर क्षेत्र के ग्राम पंचायत बेलदगी के आश्रित घुईभवना पारा ग्रामपंचायत, कोसगा के आश्रित बगदेवा पारा ग्राम पंचायत कटिन्दा तथा बंधा में स्थित बगदेवा मोहल्ला के बीच गुजरने वाली सड़क चार पंचायतों के छोटी बस्तियों को जोड़ती है ।इन टुकड़े बस्तियों में राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र कहे जाने वाले विशेष आरक्षित पड़ो जनजाति उरांव तथा अन्य आदिवासी समुदाय के लोग निवास करते हैं। विकास पथ से कोसों दूर आधार मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं । यदि ग्राम बेलदगी घुईभवना पडो पारा से ग्राम बंधा मुख्य मार्ग करमपाठ तक सड़क की हालत बद से बद्तर हो गया है जिसमें स्कूली बच्चों को पैदल चलना पड़ता है। गढ्ढों में तब्दील खस्ताहाल यह सड़क पंचायत बंधा से घुईभवना पड़ो पारा आमापानी के तरफ चली जाती है तथा गुजरते हुए कई बस्तियों को जोडती है। इन चारों पंचायतों के आश्रित गांव के ग्रामीणो तथा दूसरे राहगीरों को इन्हीं पथरीले राहों पर चलना पड़ता है।
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दरअसल बीच-बीच में ठेका के जरिए सीसी सड़क का निर्माण कराया गया है वह उखड़ कर बेतरतीब हो चुकी है। बस्ती के लोगों का बताना है शासकीय राशि का बंदरबांट हुआ है ।अनुबंध के मुताबिक निर्माण एजेंसी को पुनः इन उखड़े सड़क पर कार्य करना चाहिए। ग्रामीणो का यह भी कहना है पंचायत के आश्रित बस्तियों में शुद्ध पीने के पानी का अभाव है जिससे बसाहट के लोगों को दूर नदी ढोढी से पानी लाकर पीना पड़ता है । हेडपंप तो है परन्तु कुछ देर तक पानी निकलने के बाद स्वत बंद हो जाते है नल जल योजना के तहत पाईप लाईन विस्तार किया गया है लेकिन अभी तक पानी सप्लाई आरंभ नहीं हो सकी है। विभाग के कुछ कर्मचारियों का मानना है इन मुहल्लों में वोरवेल कारगर नहीं है भौगोलिक दृष्टि से एरिया में पानी का स्रोत सही नहीं होने से पानी की किल्लत बनी हुई है। प्रयास किया जा रहा है कि नल जल योजना के तहत टंकी बना पानी सप्लाई लोगों के घरों तक की जाये। लेकिन अभी तक बात नहीं बन सकी है। यदि बोरवेल सक्सेज नहीं होता है तो जल स्रोतों कुआं ढोढी की पक्कीकरण कर बस्तियों तक पानी पहुंचाई जाये। ऐसे हालत में जब तक समुचित व्यवस्था सही नहीं हो जाती बसाहट में निवासरत आदिवासी लोगों को दूषित पानी का ही उपयोग करते रहना पड़ेगा ।इस एरिया में बीजली विस्तार तो हुआ है लेकिन कभी कभार ट्रांसफारमर के ख़राब होने अथवा सप्लाई बंद होने कारण कई दिन बसाहट के लोगों को अंधेरों में वक्त गुजारना पड़ता है।जिम्मेदारो को सुध लेने तक की फुर्सत नहीं होती। विकास पथ से दूर इन राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र कहे जाने वाले पहाड़ी पड़ो जनजातियों के आधार भूत अव्यवस्था को सुधारने शासन प्रशासन कब मेहरबान होती है यह तो वक्त आने पर ही मालूम हो सकेगा।
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